Jamtara : मैनेंजमेट की पढ़ाई करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी नहीं कर युवा आज-कल खेती में अपनी प्रतिभा दिखा रहे है. ऐसे ही एक युवक अरिंदम जो जामताड़ा जिले के कुंडहित के अंबा निवासी है. अरिंदम बीकॉम की डिग्री हासिल करने के बाद बेंगलुरु से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. लेकिन अरिंदम ने नौकरी के बजाये आत्मनिर्भर होने का फैसला लिया. और अपने खेतों में काम करने लगे.
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झारखंड में उगा कर कृषि जगत में अपनी अलग पहचान बनायी है
अरिंदम चक्रवर्ती ने अंबा गांव में में सात एकड़ जमीन पर फलों का बागीचा बनाया है. इस बागीचे को तैयार करने में साढ़े तेरह लाख रुपए खर्च किए गए हैं. अरिंदम ने बताया कि वह अपने बगीचे के दो एकड़ जमीन में 300 सेब के पेड़ लगाये है. हम सब ये जानते है कि सेब की खेती झारखंड, बिहार में नहीं होती है. ये कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में उगने वाला फल है. लेकिन अरिंदम ने इसे झारखंड में उगा कर कृषि जगत में अपनी अलग पहचान बनायी है. साथ ही अरिंमद युवाओं के लिए प्रेरणा भी बने है.
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दो एकड़ जमीन में 300 सेब के पेड़ लगे है
अरिंमद ने बताया कि दो एकड़ जमीन में 300 सेब के पेड़ लगे है, जो इसरायल और हिमाचल प्रदेश के 04 वैरायटी के हैं. सेब के पेड़ के अलावा अन्ना,गोल्डन डॉरेस्ट,टॉपिक स्वीट एवं एतआरएमएन-99 है. इस साल सेब के पेड़ पर फूल और फल भी लगा था. लेकिन पहला साल होने के कारण इसे छोटे में ही तोड़ दिया गया.
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इनके बगीचे में 22 अलग-अलग किस्म के आम के पेड़ है
अरिंदम ने बताया कि उनके बगीचे में 22 अलग-अलग किस्म के आम के पेड़ है. जिसमें कुछ पौधे जापान और वियतनाम से मंगवाए गए है. फिलहाल बागीचे में एक हजार आम के पेड़ लगे है.
आम, सेब के अलावा उनके बगीचे में ,लीची, अमरूद, एवोकाडो नींबू, नारियल तथा अन्य फलों की खेती की है. अरिंदम ने नौकरी कर रही भीड़ से अलग होकर अपनी अलग मुकाम हासिल की है. उनका भाई सिविल इंजीनियर है, जो हैदराबाद में कार्यरत है.
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सोशल मीडिया से आधुनिक और व्यवसायिक खेती की जानकारी हासिल की
अरिंदम ने फलों की बागवानी के लिए सोशल मीडिया से जानकारी हासिल की. इस काम में उनके माता-पिता व परिवार का भरपूर सहयोग मिल रहा है. उनके जैसे जुझारू और मेहनती किसान को जिला स्तर से एवं राज्य स्तर से अगर संपूर्ण मदद दी जाए तो बहुत लोग कृषि क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल कर सकेगा.