Ranchi : प्रकृति के महापर्व सरहुल के अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में सरहुल महोत्सव का आयोजन हुआ. इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा एवं महुआ माजी शामिल हुईं. इस दौरान राज्यपाल व अर्जुन मुंडा ने मांदर बजाया और सरहुल की गीतों पर थिरके. इस मौके पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने एक ऐसे जीवन की शुरुआत की थी, जिसमें हमने जल, जंगल और जमीन की पूजा करते हैं. हमें अपने पेड़ों को जंगलों को बचाने की जरूरत है और सरहुल जैसा पर्व इसी का संदेश देता है. कहा कि, विश्व के किसी भी देश में ऐसा नहीं होता है. झारखंड में प्रकृति पर्व सरहुल एक अलौकिक दिन है, जिसे राज्य का हर नागरिक सरहुल मनाते हैं. राज्यपाल ने मुस्लिम धर्मावलंबियों को भी ईद की मुबारकबाद दी.
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परंपरा आदिकाल से चली आ रही है – अर्जुन मुंडा
वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह उत्सव समरसता, सब के अस्तित्व के महत्व को समझाने का अवसर देता है. विशेषकर साल (सखुआ) के पेड़ में नए पत्ते और फूल आते हैं. यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. पूजा-पाठ के बाद नृत्य-गीत का जो आयोजन होता है, जिससे साबित होता है कि लोगों के अंदर खुशी और उमंग को किस तरह बांटे. वहीं अर्जुन मुंडा ने ईद की भी मुबारकबाद दी. जनजातीय विभाग के विद्यार्थियों ने लोक नृत्य व गीत की प्रस्तुति दी. गीत के धुन से जनजातीय विभाग झूम उठा. गीत के बोल -“ऋृतु बसंत आवेला , पहाड़ पर्वत हरियाय गेल, फुल फुलें सरई के, चल जाबई पुजे सरहुल” का था. मौके पर मंच का संचालन किशोर सुरेन ने किया.
इन विभागों ने लोक नृत्य प्रस्तुत की
कुडुख विभाग, कुरमाली विभाग, खोरठा विभाग, खड़िया विभाग, पांच परागिनी विभाग, संथाली विभाग, नागपुरी विभाग एवं मुंदरी विभाग ने नृत्य की प्रस्तुति की.
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