LagatarDesk : अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके लिए है. अब म्यूचुअल फंड की खरीद-बिक्री भी इनसाइडर ट्रेडिंग के दायरे में होगी. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने म्यूचुअल फंड की खरीद-बिक्री को इनसाइडर ट्रेडिंग रेग्युलेशंस के दायरे में लाने के लिए नियमों में बदलाव किया है. इसको लेकर सेबी नेदिशा-निर्देश जारी कर दिये है. इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों में संशोधन 24 नवंबर से प्रभावी है. (पढ़ें, रांची : मांडर में युवक ने खुद के सिर में मारी गोली, मौत, जांच में जुटी पुलिस)
इनसाइडर किसी म्यूचुअल फंड की स्कीम में नहीं कर सकता ट्रे़ड
सेबी ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि कोई भी इनसाइडर किसी म्यूचुअल फंड की स्कीम की यूनिट्स में ट्रेड नहीं करेगा. अगर उसके पास प्राइस से संबंधित कोई सेंसिटिव जानकारी हो, जिसका किसी स्कीम की नेट एसेट वैल्यू पर प्रभाव हो सकता है या उससे जुड़े लोगों के हित प्रभावित हो सकते हैं. नये नियमों के तहत, असेट मैनेजमेंट कंपनियों को अपनी एमएफ योजनाओं की इकाइयों में एएमसी, ट्रस्टियों और उनके करीबी रिश्तेदारों की हिस्सेदारी का खुलासा करना होगा. इसके अलावा एएमसी का अनुपालन अधिकारी क्लोजिंग टाइम निर्धारित करेगा, इस दौरान नॉमिनेटेड व्यक्ति म्यूचुअल फंड यूनिट्स में लेन-देन नहीं कर सकता है.
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फ्रैंकलिन टेंपलटन मामले के बाद सेबी ने लिया फैसला
वर्तमान समय में इनसाइडर ट्रेडिंग संबंधी नियम लिस्टेड कंपनियों की सिक्योरिटीज के मामले में लागू होते हैं. इसके अलावा लिस्ट होने के लिए प्रस्तावित कंपनियों पर यह नियम लागू हो गये हैं. म्यूचुअल फंड यूनिट्स को अभी तक इनसाइडर ट्रेडिंग के दायरे से बाहर रखा गया था. लेकिन फ्रैंकलिन टेंपलटन (Franklin Templeton) मामले के बाद सेबी ने म्यूचुअल फंड को भी इनसाइडर ट्रेडिंग के दायरे में लाने का फैसला लिया. फ्रैंकलिन टेंपलटन मामले में फंड हाउस के कुछ अधिकारियों ने 6 डेट स्कीम पर रोक लगाये जाने से पहले उन स्कीम में अपनी हिस्सेदारी को भुनाया था.
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