विभाग ने एकरारनामा खत्म करने के लिए कर चुका है पत्राचार
कंपनी को अंतिम नोटिस भेज कर दी गयी चेतावनी
594.48 लाख रुपये की लागत से बनना था औरंगा नदी पुल, 43 प्रतिशत काम ही हो सका
Ashish Tagore
Latehar : लातेहार शहर और रेलवे स्टेशन क्षेत्र के बीच पड़नेवाली औरंगा नदी पर पुल निर्माण की आधारशिला तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने 27 नवंबर 2016 को रखी थी. 594.48 लाख की लागत से पुल का निर्माण कार्य करना था, लेकिन छह साल बीतने के बाद भी काम पूरा नहीं कराया जा सका. पथ निर्माण विभाग, लातेहार द्वारा इस पुल का निर्माण कार्य कराया जा रहा है. रांची की गायत्री बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड को यह कार्य आबंटित किया गया था. पुल निर्माण के लिए प्रशासनिक प्राक्कलित राशि 610.929 लाख रुपये थी. जबकि इसका एकरारनामा 594.48 लाख में किया गया था. विगत छह सालों में महज 43 फीसदी काम ही हो पाया है. मई 2022 से पुल निर्माण का कार्य पूरी तरह से बंद है. इससे पहले भी कई बार एजेंसी द्वारा काम बंद किया गया था. विभागीय दबाव में काम शुरू तो किया गया, लेकिन पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका. पथ निर्माण विभाग, लातेहार के कार्यपालक अभियंता ने विभाग के मुख्य अभियंता को निर्माणाधीन पुल की अंतिम मापी ले कर एजेंसी को टर्मिनेट करने के लिए पत्राचार किया, लेकिन यह मुख्य अभियंता कार्यालय स्तर पर लंबित है.
वर्ष 2019 से संवेदक का एकरारनामा खत्म करने का हो रहा पत्राचार
जब पुल का निर्माण कार्य तीन वर्षों में भी पूरा नहीं हुआ, तो पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार वर्मा ने 19 नवबंर 2019 को मुख्य अभियंता को पत्र (पत्रांक 1138) लिख कर पहली बार पुल निर्माण कराने वाली एजेंसी को टर्मिनेट करने का अनुराेध. इसके बाद उन्होंने नौ अक्टूबर 2021 व नौ फरवरी 2022 को मुख्य अभियंता को पुल निर्माण की अंतिम मापी ले कर संवेदक को टर्मिनेट करने को लिखा. उन्होने कहा कि इस पुल का निर्माण कार्य मार्च 2023 तक भी पूरा कर पाना मुश्किल है. इसके बाद मुख्य अभियंता कार्यालय के निर्देश पर पथ निर्माण विभाग, लातेहार के कार्यपालक अभियंता ने 16 अगस्त 2022 को अंतिम नोटिस दिया गया. कार्यपालक अभियंता ने इसकी पुष्टि शुभम संदेश से बातचीत के दौरान की.
संवेदक ने बरसात बाद काम शुरू करने का दिया था भरोसा
अंतिम नोटिस दिए जाने के बाद संवेदक ने बरसात के बाद काम शुरू करने का भरोसा विभाग को दिया था. इसके बाद फिर संवेदक ने छठ पूजा के बाद काम शुरू कराने की बात कही. लेकिन अभी तक कार्य प्रारंभ नहीं हो सका.
अति महत्वपूर्ण है यह पुल
लातेहार-सरयू-कोटाम पथ पर जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर औरंगा नदी पर बन रहा यह पुल काफी महत्वपूर्ण है. घोर उग्रवाद प्रभावित सरयू व गारू प्रखंड तक पहुंचने का एक सुगम मार्ग है. लोग ट्रेन पकड़ने इसी मार्ग से रेलवे स्टेशन जाते हैं. इस मार्ग से महुआडांड व नेतरहाट आसानी से पहुंचा जा सकता है. इस पथ से लातेहार से नेतरहाट की दूरी मात्र 80 किलोमीटर है, जबकि भाया दुबियाखाड़ और महुआडांड़ नेतरहाट की दूरी तकरीबन 150 किलोमीटर हो जाती है. लातेहार- सरयू-कोटाम पथ से छत्तीसगढ़ तक जाया जा सकता है. पर्यटन के दृष्टिकोण से ही यह पथ काफी महत्वपूर्ण है. इस पथ से महुआडांड़ का लोध फॉल, गारू के मिरचइया फॉल और छोटानागपुर की रानी कही जाने वाली नेतरहाट तक आसानी से लोग पहुंचते हैं. जब से इस पथ का सुदृढीकरण किया गया है, इस पथ पर वाहनों का दवाब काफी बढ़ गया है.
पहले का पुल ब्रिटिश जमाने का है
ऐसा नहीं है कि इस पथ पर औरंगा नदी पर यहां पुल नहीं है. ब्रिटिश जमाने में यहां पुल बनाया था और इसी पुल से आवागमन होता है. लेकिन अब यह पुल जर्जर हो गया है. पुल पर शहरी पेयजल योजना के तहत दोनों किनारों पर पाइप लाइन बिछा दी गयी है. इस कारण पुल भी संकरा हो गया है. अब इस पुल से एक साथ दो बड़े वाहनों का आवागमन संभव नहीं है. कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग ने मुख्य अभियंता को भेजे अपने पत्र में इसका उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि यह पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है और इस पथ पर आवागमन बाधित हो सकता है. बतातें चलें कि इसी पुल के ठीक बगल में नया पुल बनाया जा रहा है, जिसे छह सालों में भी पूरा नहीं किया जा सका है.
पुल के ठीक बगल में है न्यू टाउन हॉल
पुल के ठीक बगल में न्यू टाउन हॉल बनाया गया है. यहां प्रशासनिक कार्यक्रम हाेते हैंय यहां मंत्री व जिले के आला अधिकारियों का आवागमन हमेशा हाेता रहता है. इसके बावजूद इस पुल का निर्माण वर्षों से अधर में लटके रहना, कई सवालों को जन्म देता है. बताया जाता है कि संवेदक कंपनी की राजनीतिक पहुंच है, इस कारण विभाग चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रहा है.