Ranchi : गले के कैंसर को लेकर फैली भ्रांतियां, इसके लक्षण, रोकथाम और इलाज से जुड़ी हर पहलू पर बात करते हुए एचसीजी कैंसर सेंटर, रांची के सीनियर कंसल्टेंट और हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. गणेश अग्रवाल ने कहा कि हमारा गला हमारे शरीर के एक अहम प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है. यह खाने-पीने, सांस लेने, स्वाद लेने और बात करने के लिए एक विशेष अंग के रूप में काम करता है. यह संचार और पोषण दोनों के लिए आवश्यक है, लेकिन गले में किसी तरह की समस्या इन सभी सुविधाओं में बाधक बन सकती है. गले में लगातार होने वाली खराश, कर्कशता या गांठ जैसी समस्याएं आगे चलकर बड़ी और गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है. गले में खराश व अन्य समस्याएं कई कारणों से हो सकती है, पर सही समय पर संभावित कारणों की पहचान कर आप गले का कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बच सकते हैं. गले का कैंसर, जिसे हेड एंड नेक कैंसर भी कहा जाता है, वाइस बॉक्स, गला, टॉन्सिल और जीभ तक को प्रभावित करता है. यह तब होता है जब मुंह या गले में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती है और नियंत्रण से बाहर हो जाती है. समय के साथ यह बीमारी इतनी गंभीर होती चली जाती है कि जिससे मरीज की जान भी जा सकती है. गले के कैंसर के कई कारक हो सकते हैं, जैसे तंबाकू या शराब का सेवन, असंतुलित आहार और ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी). गले के कैंसर के निदान व उपचार के लिए प्रभावी उपकरण और विकल्प उपलब्ध हैं, सबसे पहले इसकी पहचान के लिए जांच कराना जरूरी है. शारीरिक जांच में एक्स-रे, सीटी स्कैन और बायोप्सी जैसे जांच शामिल है. इसके बाद कैंसर के स्टेज व मरीज की शारीरिक स्थिति के अनुसार सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, टारगेट थेरेपी व कीमोथेरेपी सहित विभिन्न विकल्पों के साथ इलाज किया जा सकता है.
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