Ranchi: भगवान सूर्य और माता षष्ठी की उपासना का महापर्व नहाय-खाय अनुष्ठान के साथ 28 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है. 29 अक्टूबर को खरना और 30 अक्टूबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. उसी प्रकार 31 अक्टूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किये जाने के साथ ही महापर्व संपन्न हो जायेगा. कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाये जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है. यह चार दिनों का त्योहार है और इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है.
शायद ही किसी धर्म के मानने वाले लोग हों, जो इस महापर्व में अपनी सहभागिता नहीं दिखाते हों. व्रतियों में कुंवारी लड़कियां भी शामिल होती जा रही हैं. उन्हीं में से एक हैं 25 वर्षीया आयुषी शर्मा, जो मारवाड़ी समुदाय से आती हैं. राजधानी रांची के पहाड़ी मंदिर के पास बने यशलोक रेजेंसी में आयुषी शर्मा रहती हैं. आयुषी पिछले दो सालों से छठ महापर्व को पूरी आस्था के साथ कर रही हैं. आयुषी ने बताया कि दो साल पहले तक वह शाम वाले अर्घ्य से सुबह वाले अर्घ्य तक उपवास करती थीं. लेकिन उनमें छठी मइया के प्रति आस्था इतनी बढ़ी कि पिछले दो सालों से वह नहाय खाय (कद्दु भात) से लेकर सुबह वाले अर्घ्य तक उपवास रखती हैं.
आयुषी ने बताया कि छठी मइया के प्रति उनकी आस्था इतनी है कि दीपावली से ज्यादा उन्हें छठ पूजा का इंतजार रहता है. यह छठी मइया का आशीर्वाद है कि चार दिन तक उपवास करने के लिए उनके पास शक्ति आ जाती है. पूरे पर्व में सूप और फल धोने, उसे सजाने से लेकर ठेकुआ बनाने का काम वह स्वयं करती हैं. आयुषी ने बताया कि भगवान भास्कर (सूर्य देवता) को अर्घ्य देने के लिए वह तालाब या किसी नदी में नहीं जाती हैं, बल्कि घर में भी परिवारजन्य के सहयोग से कुंड बनाकर अर्घ्य देती हैं. उनकी इस आस्था में परिवार के लोगों का भी पूरा समर्थन मिलता है. देवघर से लेकर बाहर रहने वाले सभी परिचित रांची आते हैं.