-दो वित्तीय वर्ष से नहीं बढ़ा बिजली टैरिफ, चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 का नया बिजली टैरिफ भी बढ़ने की संभावना कम
-जेबीवीएनएल का टैरिफ प्रस्ताव भी आधा-अधूरा, फिर से मांगा गया ब्योरा, 30 नवंबर को नए वित्तीय वर्ष के लिए टैरिफ दायर करने की आ जाएगी अवधि
Kaushal Anand
Ranchi: राज्य के बिजली उपभोक्ताओं को लगातार तीसरे साल राहत मिल सकती है. गत दो वित्तीय वर्ष की तरह चालू वित्तीय वर्ष में भी बिजली टैरिफ पर निर्णय होने की संभावना कम ही दिख रही है. मजे की बात यह है कि जेबीवीएनएल द्वारा गत 30 नवंबर को फाइल किया टैरिफ पिटिशन को अब तक झारखंड विद्युत नियामक आयोग स्वीकार नहीं किया है. स्वीकार किए जाने के बाद 120 दिन के अंदर आयोग निर्णय लेता है. जनसुनवाई आदि की प्रक्रिया पूरी करने, लोगों की आपत्ति दर्ज कराने सहित अन्य औपचारिकताएं पूर्ण करने में कम से कम दो से तीन महीने का समय लगता है. चूंकि अब बाकी बचे एक महीने में आयोग द्वारा उपरोक्त औपचारिकताएं पूर्ण होना संभव नहीं लगा रहा है. क्योंकि फिर जेबीवीएनएल को 30 नवंबर तक नए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए नया पिटिशन फाइल करना होगा. इसलिए इसकी संभावना प्रबल हो चली कि लगातार तीसरे साल जेबीवीएनएल को नया बिजली टैरिफ नहीं मिलने जा रहा है, यानी बिजली दर में बढ़ोतरी नहीं होगी.
जेबीवीएनएल का टैरिफ प्रस्ताव आधा अधूरा, फिर से मांग गया ब्योरा
जेबीवीएनएल द्वारा आयोग के समक्ष दायर किया गया वित्तीय वर्ष 2022-23 का बिजली टैरिफ प्रस्ताव आधा-अधूरा है. इसलिए आयोग ने जेबीवीएनएल से स्पष्टीकरण मांगते फिर से पूरा ब्योरा मांगा गया है. इसे लेकर आयोग ने दो सप्ताह का समय दिया है. मगर जेबीवीएनएल इसमें असमर्थता जाहिर करते हुए समय और बढ़ाने का निवेदन किया है. आयोग ने दायर टैरिफ पीटिशन पर झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है. जेबीवीएनएल द्वारा दिये गये आय-व्यय के ब्योरे पर आयोग को संदेह है इस बाबत पूरी जानकारी मांगी गयी है. मालूम हो कि 7 सितंबर 2021 को जेबीवीएनएल ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए नया एनुवल रेवन्यू रिक्यावरमेंट (एआरआर) के साथ नयी टैरिफ का प्रस्ताव झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के पास जमा कर चुका है.
16 से 17 प्रतिशत तक है टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव
झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-22 के लिए 16-17 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव है. जेबीवीएनएल द्वारा एनुअल रिपोर्ट में कुल 6500 करोड़ रूपये का नुकसान दिखाया गया है. विगत दो वित्तीय वर्ष से बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होने के कारण बिजली खरीद एवं आपूर्ति में 6500 करोड़ का गैप दिखाया गया है. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में आयोग द्वारा निर्णय नहीं लिये जाने के कारण कुल 1800 करोड़ का नुकसान दिखाया गया है. ओवरऑल जेबीवीएनएल ने अपनी रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 9000 करोड़ का खर्च दिखाया है. जिस पर आयोग ने स्क्रूटनी के दौरान संदेह व्यक्त किया है और निगम से अपडेटेड डाटा मांगा है. इसके लिए निगम को एक सप्ताह का समय दिया गया है.
देर से हुई चेयरमैन एवं सदस्यों की नियुक्ति भी बड़ा कारण
विगत 15 महीने से रिक्त पड़े झारखंड विद्युत नियामक आयोग को 22 सितंबर को नया चेयरमैन मिला. वहीं 9 मई को आयोग में दो सदस्यों की नियुक्ति हुई. बिजली टैरिफ पर सुनवाई शुरू नहीं होने के पीछे यह वजह भी बतायी जा रही है. यानी आयोग का फुलबेंच 22 सितंबर से एक्टिव हुआ.
दो वित्तीय वर्ष में नहीं हुई है बिजली दर में कोई बढ़ोतरी
पिछले वर्ष वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भी दिसंबर में जेबीवीएनएल ने नया बिजली टैरिफ बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था. मगर पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण आयोग में दो मेंबरों ने उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसला देते हुए घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली टैरिफ में कोई बढ़ोतरी नहीं की. 2021-22 में आयोग डिफंक्ट होने के कारण इस वित्तीय वर्ष में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई. अभी भी राज्य में 2019-20 वाला ही टैरिफ लागू है.
यह है वर्तमान बिजली टैरिफ (दर)
कैटोगरी- वर्तमान दर-मिल रही सब्सिडी (प्रति यूनिट)
घरेलू ग्रामीण- 5.75-4.25
घरेलू शहरी- 6.25-2.75
इस तरह मिल रहा है उपभोक्ताओं को सब्सिडी
0-200 यूनिट पर सब्सिडी 2.75 रुपये
201-400 यूनिट पर सब्सिडी 2.05 रुपये