Jamshedpur (Anand Mishra) : जेसीईसीईबी (झारखंड कंबाइंड एंट्रांस कंपिटेटिव एग्जामिनेशन बोर्ड) की लेट-लतीफी के कारण बीएड नये सत्र (2023-25) की कक्षाएं अभी तक आरंभ नहीं हो सकी हैं. चौथे व अंतिम राउंड की काउंसेलिंग खत्म होने का बाद भी कॉलेजों में सीटें खाली हैं. बावजूद बोर्ड की ओर से अभी तक ओपन एडमिशन अथवा इससे संबंधित निर्देश या अधिसूचना जारी नहीं की गयी है, जबकि अंतिम राउंड की काउंसेलिंग के आधार पर एडमिशन की अंतिम तिथि 20 अक्तूबर ही थी. ओपन एडमिशन की प्रतीक्षा में इच्छुक विद्यार्थी भी परेशान हैं.
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अंतिम काउंसेलिंग में तीन हजार से अधिक की सूची
चौथे व अंतिम राउंड की काउंसेलिंग में बोर्ड की ओर से 3 हजार 733 उम्मीदवारों की सूची जारी की गयी थी. इसमें लगभग आधी सीटों को एससी से एसटी, एसटी से एससी अथवा बीसी-1 वगैरह में कन्वर्ट भी किया गया था. बावजूद कॉलेजों में सीटें खाली हैं. प्राइवेट कॉलेजों की बात की जाये, तो वहां रिक्तियों की संख्या सरकारी कॉलेजों की तुलना में अधिक है.
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फिलहाल चार महीने लेट है सत्र
कॉलेजों की ओर से बताया गया है कि एडमिशन पूरा नहीं होने की वजह से अभी तक नये सत्र की कक्षाएं आरंभ नहीं हो सकी हैं. जबकि बोर्ड की ओर से एडमिशन की प्रक्रिया पिछले फरवरी माह से ही आरंभ कर दी गयी है. मार्च में प्रवेश परीक्षा हुई थी और मई में रिजल्ट निकला था. उसके बाद से अंतिम राउंड की काउंसेलिंग पूरी होते-होते अक्तूबर माह भी बीतने को है, जबकि जुलाई-अगस्त तक हर हाल में कक्षाएं आरंभ हो जानी चाहिए थीं. अब इस साल को खत्म होने में करीब दो महीने शेष हैं. सत्र के हिसाब से देखा जाये, तो अब तक प्रथम सेमेस्टर की पढ़ाई चार महीने बाद भी आरंभ नहीं हो सकी है. ऐसे में कोर्स पूरा करना शिक्षकों के लिए चुनौती होगी.
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पिछले वर्ष भी खाली रह गयी थी सीटें
पिछले वर्ष भी अंतम राउंड की काउंसेलिंग एवं ओपन एडमिशन के बाद राज्य भर के कॉलेजों में अनेक सीटें खाली रह गयी थीं. इस संबंध में शुभम संदेश की ओर से रिपोर्ट भी प्रकाशित की गयी थी, जिसमें कॉलेजवार रिक्तियों की संख्या का उल्लेख किया गया था. तब भी प्राइवेट कॉलेजों में ही रिक्त सीटों की संख्या अधिक थी.
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अधिक फीस है कारण
सरकारी कॉलेजों की तुलना में प्राइवेट कॉलेजों में प्रति सेमेस्टर फीस अधिक है. इसके अलावा समय-समय पर अन्य तरीके से भी कई तरह के शुल्क लिये जाते हैं. इस वजह से विद्यार्थी वहां एडमिशन नहीं लेना चाहते हैं. सभी की पहली प्राथमिकता सरकारी कॉलेज ही होते हैं. ऐसे में सरकारी कॉलेज नहीं मिलने की स्थिति में अनेक विद्यार्थी एडमिशन नहीं लेते हैं.