Baharagora (Himngshu Karan) : बहरागोड़ा प्रखंड के माटीहाना में पाणिग्रही परिवार 1820 से पीढ़ी दर पीढ़ी दुर्गा पूजा करते आ रहे हैं. इस साल भी परिवार के मुखिया डॉ. सरोज पाणिग्रही और दिलीप कुमार पाणिग्रही के नेतृत्व में यह परिवार मां दुर्गा की पूजा धूमधाम से आयोजित कर रहा है. महाअष्टमी को श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की गई. परंपरा के मुताबिक बकरे की बलि भी दी जाएगी. इस परिवार के पास 1820 में निर्मित तीन तलवारें, 1870 में खरीदी गई इंग्लैंड मेड बंदूक और ताड़ के पत्तों पर ओड़िया भाषा में लिखी गीता सुरक्षित है. फिलहाल बंदूक पंचायत चुनाव के पूर्व से ही थाना में जमा है.
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1820 में राजा के आदेश पर पूर्वजों ने शुरू की दुर्गा पूजा
डॉ. सरोज पाणिग्रही ने बताया कि उनके पूर्वज उमाशंकर पाणिग्रही राजा प्रताप चंद्र धल के दीवान थे. 36 मौजा में जमींदारी थी.1820 में राजा के आदेश पर ही उनके पूर्वज उमाशंकर पाणिग्रही ने दुर्गा पूजा शुरू की थी. उस वक्त यहां 36 मौजा के लोग पूजा करने आते थे. इसके बाद से हर वर्ष मां दुर्गा की पूजा की जाती है. 1820 में उमाशंकर पाणिग्रही, 1860 से सत्यनाथ पाणिग्रही, 1950 से राजेंद्र नाथ पाणिग्रही, 2013 से अब तक डॉक्टर सरोज पाणीग्रही और दिलीप पाणिग्रही के नेतृत्व में दुर्गा पूजा की जा रही है.
गीता को सुरक्षित रखना हो रहा है मुश्किल
दिलीप पाणिग्रही ने बताया कि पंचायत चुनाव के पूर्व बंदूक थाना में जमा की गई थी. अभी तक बंदूक थाना से वापस नहीं की गई है. ताड़ के पत्तों पर लिखी गीता को भी सुरक्षित रखना मुश्किल हो रहा है. फिलहाल देवाशीष पाणीग्रही आशीष पाणिग्रही, समीर पाणिग्रही, स्वरूप पाणिग्रही, अरूप पाणीग्रही, राहुल पाणिग्रही, रोहित पाणिग्रही, कामाख्या प्रसाद पाणिग्रही समेत परिवार के अन्य सदस्य पूजा में जुटे हुए हैं.