Ghatshila : बहरागोड़ा और चाकुलिया प्रखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर मतदान 19 मई को संपन्न हो गये. इसके साथ ही सभी प्रत्याशियों का भाग्य भी मतपेटियों में बंद हो गया है. अब विभिन्न पदों के उम्मीदवार, खासकर भाजपा व झामुमो के नेता जीत और हार का आकलन करने के लिए मतों के जोड़-घटाव में व्यस्त हो गए हैं. बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में जिला परिषद सदस्य के पांच पदों पर भाजपा और झामुमो समर्थित उम्मीदवारों की जीत और हार का आकलन करने में बड़े नेता भी व्यस्त हैं और पूरी जानकारी प्राप्त कर रहे हैं.
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भाजपा के सामने खाता खोलने तो झामुमो के सामने इतिहास दोहराने की चुनौती
यह पंचायत चुनाव भाजपा और झामुमो की प्रतिष्ठा का प्रश्न बनकर खड़ा है. दोनों ही दलों ने अपने समर्थित जिला परिषद सदस्य उम्मीदवार को विजयी बनाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है. चुनाव प्रचार में भी खूब जोर लगाया गया है. प्रखंड में भाजपा को जहां अपने समर्थित जिला परिषद सदस्य का खाता खोलने की चुनौती है तो झामुमो को पंचायत चुनाव 2015 का इतिहास दोहराने की चुनौती है. विदित हो कि बहरागोड़ा प्रखंड के जिला परिषद के तीनों अंश पर 2015 के पंचायत चुनाव में झामुमो समर्थित उम्मीदवार विजयी हुए थे. चाकुलिया प्रखंड के दो जिला परिषद अंत में एक में झामुमो समर्थित और एक में भाजपा समर्थित उम्मीदवार की जीत हुई थी.
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अपने समर्थित उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिये दोनों दलों ने लगाया जोर
इस पंचायत चुनाव में अपने समर्थित उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए विधायक समीर महंती समेत झामुमो के नेताओं ने खूब जोर लगाया. वहीं, भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए सांसद विद्युत वरण महतो, पूर्व मंत्री डॉ. दिनेश षाड़ंगी, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी और पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने भी अपनी ताकत झोंक दी. लेकिन पंचायत चुनाव के दौरान भी भाजपा में गुटबाजी की झलक साफ तौर पर दिखाई पड़ी.
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चुनाव परिणाम के बाद स्पष्ट होगी स्थिति
बहरागोड़ा के जिला परिषद अंश 26 और 27 व चाकुलिया के जिला परिषद अंश 24 पर भाजपा के समर्थित उम्मीदवार के अलावा भाजपा के अन्य उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में डटे रहे. ऐसे में चुनाव प्रचार के दौरान भी भाजपाई अलग-अलग खेमे में बंटे रहे. लिहाजा इन जिला परिषद अंशों में भाजपाइयों के बीच हचपच की स्थिति बनी हुई है और आकलन करना मुश्किल हो रहा है. बहरहाल, 22 मई को होने वाली मतगणना के बाद ही साफ हो पाएगा कि किसमें कितना दम है?
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