गुमला से सुरेंद्र सोरेन
यूं तो बलमदीना एक्का के जीवन की ख्वाहिशों और खुशियों ने उसी दिन दम तोड़ दिया था, जब 8 दिसंबर 1971 को चैनपुर के छोटे से डाकखाने में टेलीग्राम से खबर आयी कि उनके पति देश की खातिर शहीद हो गये. हालांकि 3 दिसंबर को ही भारत-पाक जंग में उनके पति अल्बर्ट एक्का शहीद हो चुके थे. उन्हीं परमवीर लांस नायक अल्बर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का इन दिनों जीवन के आखिरी पड़ाव में हैं.
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बिना सहारे बिस्तर से उठ भी नहीं पाती बलमदीना एक्का
बिना किसी सहारे के बिस्तर से उठ नहीं पाती, टूटी-फूटी जुबान में कुड़ुख भाषा में बात कर अपना हालत बताती हैं. बताया कि बीते कुछ महीनों में कोई बड़ी शख्सियत या सरकारी अफसर उनसे मिलने तक नहीं पहुंचा, एक सवाल पर वह कहती हैं कि एक रिपोर्टर कुछ महीने पहले उनकी सेहत जानने आया था. आज भी उनकी आखिरी ख्वाहिश है कि उनके पति की जन्मस्थली गांव जारी, चैनपुर में उनका समाधि स्थल बने. इसके लिए जनवरी 2016 में वह सरकार के प्रतिनिधि के साथ त्रिपुरा भी गयी थीं, जहां परमवीर एक्का की समाधि है.
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बलमदीना एक्का की इच्छा है कि अपनी आंखें बंद होने के पहले वे जारी गांव में परमवीर अल्बर्ट एक्का की समाधि पर फूल चढ़ा कर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर लें.
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