Bandgaon(A K Tiwari) : पश्चिमी सिंहभूम जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र नवादा गांव में मूलभूत सुविधा को लेकर ग्रामीणों की बैठक वेलफेयर सोसाइटी के अजय शर्मा की अध्यक्षता में शनिवार को संपन्न हुई. बैठक में शर्मा ने कहा कि यह नवादा गांव पश्चिमी सिंहभूम, खुंटी और सरायकेला जिलों का बॉडर में स्थित है. यह गांव घने जंगलों एवं पहाड़ों के बीच होने के कारण यहां मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों को उपलब्ध नहीं हो रहीं है.आज भी समस्याएं इतनी है कि गर्भवती महिलाओं को अस्पताल नहीं पहुंचा पाते हैं ग्रामीण. पहाड़ों को काटकर ग्रामीणों द्वारा बनाए गए रास्ते में बारिश के दिनों में डेढ़ से तीन फीट के गड्ढ़े हो गए हैं. जिस कारण आवागमन में ग्रामीणों को काफी दिक्कतें होती है.
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पश्चिमी सिंहभूम के बलियाडीह, लादूराडीह, नारायणपूर, उलिबेड़ा, गितिलउली, सारूगड़ा, दुरदा, चिंदीदा, जयरडीह समेत दर्जनों गांव-टोले ऐसे हैं, जहां सड़कें और अन्य समस्याएं है. यहां की वादियां समस्याओं से घिरी होने के कारण सुंदर होने के बावजूद डरावनी लगती है. इन गांवों में वोट के समय नेता आते हैं और वादा करके चले जाते हैं. कोई निभाता नहीं है. इन गांवों में ना तो कोई अधिकारी पहुंचते हैं और ना ही सरकारी कर्मी. बैठक में ग्रामीणों ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी समस्या सड़क है. प्रखंड मुख्यालय बंदगांव जाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है. सड़क इतनी जर्जर है कि बाइक चलाना भी मुश्किल होता है. और यात्री वाहन भी नहीं चलते. इस कारण वे विकास योजनाओं से दूर हो जाते हैं.
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ग्रामीण दातून-पत्ता-जलावन बेच कर चलाते है जिंदगी की गाड़ी
नवादा समेत अन्य गांवों के लोग बिरबांकी, बंदगांव, कराईकेला, झरझरा आदि साप्ताहिक हाटों में दातून-पत्ता और जलावन बेचने जाते हैं, जिससे उनकी जिंदगी की गाड़ी चलती है. ग्रामीण कुछ वनोपज लाह, इमली, महुआ आदि औने-पौने दामों में बेचते हैं. सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी उन्हें नहीं मिलता. यहां सालों पहले जेएसएलपीएस द्वारा महिला मंडल का गठन तो किया गया, लेकिन काम कुछ भी नहीं हुआ. अब सिर्फ नाम के लिए महिला मंडल है.
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छह साल पहले गाड़े गए खम्भे, खींचे गए तार
इन इलाकों में छह साल पहले बिजली के खंभे गाड़े गए और उन खंभों में ट्रांस्फार्मर लगाए गए और तार खींचे गए थे. लेकिन दुर्भाग्य है कि इन तारों में आज तक बिजली का करंट नहीं दौड़ा.अब अधिकांश खंभे झूक गए हैं और तार लटक रहे हैं. ग्रामीण चाहते हैं कि उनके गांवों में बिजली के बल्ब जलें.
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पूरे इलाके में नहीं है उच्च विद्यालय
इस ट्राई जंक्शन में एक भी उच्च विद्यालय नही है. सभी प्राथमिक विद्यालय हैं और एक चिंगीदा में मध्य विद्यालय है. इस कारण पांचवीं और आठवीं कक्षा की पढ़ाई के बाद सक्षम लोग ही अपने बच्चों को हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए बंदगांव और चक्रधरपुर भेजते हैं. अशिक्षा यहां कुट-कुट कर भरा है.
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योजनाओं की जानकारियां भी नहीं पहुंच पाती
जिसके कारण इन गांवों तक सरकार की लोककल्याणकारी योजनाएं तो क्या, योजनाओं की जानकारियां भी नहीं पहुंच पातीं हैं. मोबाईल कनेक्टिविटी इलाके के गांवों में नहीं है. बात करने के लिए पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता है. गांव के लोग सूचना से कोसों दूर हैं.
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बरसात में नदी-नालों का पानी पीते हैं लोग
नवादा और उसके दस टोलों में सात चापानल लगे हुए हैं और सभी चापानल खराब हैं. दो सोलर जलमीनार खराब पड़े हैं. पीने के लिए ग्रामीण पहाड़ी नालों के किनारे गड्ढ़े खोदते हैं. बैठक में सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अजय शर्मा और समाजसेवी मो नईमुद्दीन खां ने ग्रामीणों को उनके साथ मिलकर गांवों के विकास के लिए काम करने का आश्वासन दिया. इस कड़ी में नवादा और आसपास के इलाकों में इस वर्ष जलसंरक्षण की दिशा में काम करने का निर्णय लिया गया. साथ ही ग्रामीणों ने आयवृद्धि के लिए लेमनग्रास, ड्रेगनफ्रूट, स्ट्रॉबेरी की खेती के साथ वनोपज के उचित प्रबंधन करने में अपनी रूचि दिखाई है.इस मौके पर काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.
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