Girish Malviya
लुटियंस जोन के एक बंगले की कहानी से जानिए कि भारत मे कैसे प्राइवेट बैंक के चेयरमैन, कंपनियों के प्रमोटर और देश के बड़े NBFC मिल जुल कर देश के आम आदमी के जमा पैसों पर मौज उड़ा रहे हैं.
CBI ने एक दिन पहले CG पावर ओर अवंता ग्रुप के गौतम थापर पर 2435 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. CG पावर की सबसे बड़ी कंपनी क्रॉम्पटन ग्रीव्स थी, जिसे कुछ साल पहले गौतम थापर ने बेच दिया. कुछ दिन पहले गौतम थापर पर यस बैंक ने 466 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था.
गौतम थापर का यह केस इस बात का बहुत अच्छा उदाहरण है कि प्राइवेट बैंकों और NBFC के जरिए क्रोनी केपेटेलिज्म भारत में कैसे खेल-खेल रहा है, कैसे मनी लॉड्रिंग होती है? कैसे राउंड ट्रिपिंग की जा रही है?
यह कहानी है दिल्ली के सबसे पॉश इलाके लुटियंस जोन के अमृत शेरगिल मार्ग पर 1.2 एकड़ जमीन पर बने बंगला नंबर 40 की.
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यह बंगला सालों से गौतम थापर के आधिपत्य में था. जब गौतम थापर कर्ज में घिरने लगे तो उन्होंने यह बंगला ICICI बैंक के पास गिरवी रख दी थी. वर्ष 2016 में इसे अवंता समूह को दिए गए 400 करोड़ रुपए के ऋण के बदले यस बैंक के पक्ष में जारी कर दिया गया. Yes Bank ने यह ऋण वर्ष 2016 में पट्टे के किराये के एवज में मंजूर किया. यह करार अवंता रीयल्टी और उसके समूह की एक अन्य कंपनी बिल्ट ग्राफिक्स पेपर प्राइवेट लिमिटेड के बीच किया गया.
यह एक हास्यास्पद किराया करार था. क्योंकि किराया मूल्य को एक करोड़ रुपए सालाना से बिना किसी आधार के बढ़ाकर 65 करोड़ रुपए कर दिया गया. बिल्ट से अवंता रीयल्टी को कोई किराया नहीं मिला. लेकिन इस करार के बहाने यस बैंक ने अवंता ग्रुप को नया 600 करोड़ रुपये का कॉरर्पोरेट लोन पास कर दिया.
यानी यही से इस घोटाले की शुरुआत हो गयी थी. उस वक्त यस बैंक के राणा कपूर देश के सफलतम बैंकर्स की लिस्ट में शामिल थे. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि यह 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी का जुमला भी राणा कपूर का ही है. जिसे बाद में मोदी ने लपक लिया.
खैर…अवंता ग्रुप के कर्ज बढ़ते जा रहे थे गौतम थापर मुश्किलों से घिरे हुए थे. उन्होंने यह बंगला बेचने का फैसला कर लिया. लेकिन बंगला तो पहले से ही गिरवी था.
अब राणा कपूर का असली खेल शुरू हुआ. राणा कपूर की पत्नी बिंदु कपूर के नाम से वर्ष 2017 में एक शेल कंपनी की स्थापना की गई. जिसका नाम ब्लिस अडोब प्राइवेट लिमिटेड रखा गया. यस बैंक की तरफ से इस बंगले की बिक्री को लेकर ब्लिस अडोब लिमिटेड को बोली के लिए आमंत्रित किया गया. डील फाइनल हुई और राणा कपूर की पत्नी की कंपनी ब्लिस अडोब लिमिटेड ने 380 करोड़ रूपये देकर बंगला खरीद लिया.
इस डील के बदले में अवंता रियल्टी एंड ग्रुप कंपनीज को यस बैंक ने 1900 करोड़ रुपये का एक नया कर्ज दे दिया.
अब एक और मजे की बात सुनिए. राणा कपूर भी तब तक मुश्किलों से घिर चुके थे. इसलिए उन्होंने इस बंगले को तुरंत ही इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पास 685 करोड़ रुपए के ऋण के लिए गिरवी रख दिया गया.
वर्ष 2018 में जब RBI ने राणा कपूर के ऊपर कर्ज और बैलेंस शीट में गड़बड़ी के आरोप लगाए, तब उन्हें चेयरमैन के पद से जबरन हटाया गया. तब जाकर यह सारे मामले खुले कि किस तरह से यस बैंक ने एनपीए की वसूली प्रक्रिया धीमी कर बड़ी-बड़ी कंपनियों को लाभ पहुंचाया.
यस बैंक के प्रमोटर राणा कपूर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में पता चला कि ऐसे ही दूसरे मामलों में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी, एस्सेल ग्रुप के प्रमोटर सुभाष चंद्रा, जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल और इंडियाबुल्स के चेयरमैन समीर गहलोत तक शामिल हैं.
इस बंगले से जुड़ी जांच के सिलसिले में नयी दिल्ली में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के कार्यालय में भी छापेमारी की गई थी.
राणा कपूर का रोल DHFL के साथ भी सामने आया. यह भी पता लगा कि वाधवान के साथ मिलकर डीएचएफएल कंपनी को यस बैंक के जरिए वित्तीय मदद पहुंचाई. इसके बदले में कपूर और उनके परिवार को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. इस काम के लिए कपूर परिवार की कंपनियों का इस्तेमाल हुआ.
यह है क्रोनी केपेटेलिज़्म की असली तस्वीर. बैंक के चेयरमैन, कंपनियों के प्रमोटर और NBFC एक कार्टेल बना कर एक दूसरे की कंपनियों में हजारों करोड़ की राउंड ट्रिपिंग करते हैं. कभी इस पैसे को कर्ज के रूप दिखाया जाता है तो कभी शेल कंपनियों के मार्फत हेराफेरी की जाती है. और अंत मे इस खेल में बर्बाद होता है आम आदमी.