Nitesh Ojha
Ranchi : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में पार्टी नेताओं का बयान कि ”वे अपनी ही सरकार में हासिये पर हैं”, खूब सुर्खियां बटोरी. इस पर प्रभारी अविनाश पांडेय ने सहयोगी जेएमएम को कड़ा संदेश दे दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, एआईसीसी की राष्ट्रीय सचिव दीपिका पांडेय सिंह ने हेमंत सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया. पर इन सब से अलग स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर जो बयान दिया, वह काफी चर्चा का विषय बना.
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बन्ना सीएम पर सवाल उठाकर, खुद को साबित करना चाह रहे सच्चा कांग्रेसी
बन्ना गुप्ता ने मुख्यमंत्री पर कांग्रेस के वोट बैंक को अपनी तरफ कर पार्टी को ही खत्म करने का आरोप लगा दिया. बयान से साफ है कि बन्ना गुप्ता कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही हैं. बन्ना गुप्ता जिस तरह सीएम और सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं, उससे चर्चा है कि उनका मंत्री पद जाना तय है. कुछ माह पहले भी बन्ना गुप्ता ने IPS ट्रांसफर पोस्टिंग पर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि सीएम हेमंत सोरेन अपनी मर्जी से सरकार चला रहे हैं. जबकि कांग्रेस के सपोर्ट से ही झारखंड में सरकार चल रही है. बताया जाता है कि उसके बाद से ही बन्ना गुप्ता मुख्यमंत्री के रडार पर थे.
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मंत्रिमंडल बदलाव की चर्चा जोरों पर, बन्ना नहीं चाहेंगे कि उनका पत्ता कटे
हेमंत सरकार को सत्ता में आये हुए करीब 2 साल से ज्यादा हो गये हैं. अब मंत्रिमंडल बदलाव की चर्चा जोरों पर है. बन्ना कभी नहीं चाहेंगे कि उनका मंत्रिमंडल से पत्ता कटे. ऐसे में उन्होंने खुद को कांग्रेस का सच्चा सिपाही बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी. बन्ना गुप्ता शीर्ष नेतृत्व को बताना चाह रहे हैं कि गठबंधन सरकार में कांग्रेस की स्थिति मजबूत रहे. पार्टी झारखंड की जनता के सामने अपनी एक विशेष छाप छोड़े.
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संवैधानिक विशेषाधिकार के तहत ही 2014 में हेमंत ने ददई दुबे को मंत्री पद से हटाया था
बन्ना की इस कार्यशैली को देख मुख्यमंत्री जरूर चाहेंगे कि उनकी कैबिनेट में ऐसा व्यक्ति नहीं रहे जो सरकार पर ही ऊंगली उठाये. इसके लिए मुख्यमंत्री अपने संवैधानिक विशेषाधिकार का उपयोग जरूर करना चाहेंगे. संविधान के अनुच्छेद 164 (1) में यह प्रावधान है कि मंत्रिमंडल में कौन मंत्री रहेगा या नहीं रहेगा, यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. राज्यपाल उन्हीं को मंत्री नियुक्ति करेंगे, जिसकी सलाह मुख्यमंत्री उन्हें देगा. बता दें कि इस विशेषाधिकार का उपयोग कर सीएम हेमंत सोरेन अपने पहले कार्यकाल (19 फरवरी 2014) में कांग्रेस कोटे के मंत्री ददई दुबे को अपने मंत्रिमंडल से हटा चुके हैं.
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