Patna: बिहार में ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए मुख्य तौर पर जवाबदेह प्रखंड विकास पदाधिकारी स्तर के अधिकारियों को सरकार के नए फैसले से रूतबा घटने का डर सता रहा है. ग्रामीण विकास सेवा संघ ने सरकार से कहा है कि वह पंचायत राज पदाधिकारी एवं पंचायत समिति के कार्यालय को प्रखंड से अलग करने के फैसले पर पुनर्विचार करे. इस बदलाव से समस्याएं सुलझने के बदले और उलझ जाएंगी. अपने आग्रह के साथ संघ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है.
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मुख्यमंत्री नीतीश से संघ के अध्यक्ष की गुहार
संघ के अध्यक्ष प्रशांत कुमार ने कहा कि इस बदलाव से यह संदेश जा रहा है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी ढंग से अपने कर्तव्यों को निर्वहन नहीं कर रहे हैं, जबकि सरकार की तमाम योजनाओं की देखरेख के अलावा आपात स्थिति में विधि व्यवस्था की जिम्मेदारी भी बीडीओ को उठानी पड़ती है.
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प्रशासनिक व्यवस्था पर असर पड़ने की आशंका
संघ ने कहा कि प्रखंडों में पंचायत राज पदाधिकारी का कार्यालय रहने से उस पर नियंत्रण रखने में आसानी होगी. आपदा प्रबंधन, निर्वाचन, जनगणना, धान-गेहूं की सरकारी खरीद आदि मामले में पंचायती राज के जन प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. पंचायत राज पदाधिकारी का कार्यालय अलग होने से प्रखंड स्तर पर एक समानांतर संरचना का विकास होगा. कालांतर में प्रशासनिक व्यवस्था पर इसका खराब असर पड़ेगा.
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बीडीओ की अध्यक्षता में समन्वय समिति की मांग
संघ से सुझाव दिया है कि बीडीओ की अध्यक्षता में एक समन्वय समिति गठित हो. इसमें प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी को सदस्य सचिव के तौर पर रखा जाए. इस समिति की बैठक की अवधि भी सरकार तय कर दे. संघ के मुताबिक, इस व्यवस्था का कामकाज पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
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