Soumitra Roy
जल्द ही आपको वह दिन भी देखना पड़ सकता है, जब बैंक वाले 5 लाख की निकासी पर एक हफ़्ते बाद आने को कहें. ताकि बैंक वाले उतनी ही रकम पहले उधार लें और फिर आपको लौटाएं. यही हाल आपके पीएफ, एफडी की रकम के साथ भी हो सकता है. चौंक गए न? पूछिये क्यों?
मोदी सरकार के सालाना बजट का 40% से ज़्यादा उधार से आता है. मार्च 2014 में भारत सरकार पर 53 लाख करोड़ की उधारी थी, जो मार्च 2022 में 136 लाख करोड़ हो जाएगी.
यानी जीडीपी का 62% उधार का पैसा है और पे-डिग्री मीडिया के संपादक फर्ज़ी आंकड़ों पर खबरें दे रहे हैं.
मार्च 2022 तक देश के हर नागरिक पर 1 लाख रुपये का कर्ज़ हो जाएगा, जो कभी लिया ही नहीं गया, लेकिन मरते दम तक चुकाना एक मजबूरी होगी. अब अगर केंद्र के कर्ज़ में राज्यों के बेतहाशा कर्ज़ को भी मिला लिया जाए, तो जीडीपी के मुक़ाबले बाहरी कर्ज़ का आंकड़ा 100% हो जाता है.
जापान में यह अनुपात 257% और अमेरिका में 125% है. ठीक है? लेकिन दोनों ही देश अपने राजस्व का 12-15% कर्ज़ पर ब्याज चुकाने में खर्च करते हैं, क्योंकि उन्हें कम ब्याज पर कर्ज मिलता है. कर्ज़ पर ब्याज की वैश्विक दर 5.75% है.
वित्त वर्ष 2022 में भारत को आयकर और कॉरपोरेट टैक्स से 10.95 लाख करोड़ और GST से 11.05 लाख करोड़ मिलने की उम्मीद है. राज्यों का हिस्सा चुकाने के बाद मोदी सरकार के पास 15.51 लाख करोड़ बचेंगे. लेकिन देश पर उसके कर्ज़ का ब्याज न भूलें, जो 8.47 लाख करोड़ रुपये है.
मोदी सरकार अपने राजस्व का 55% कर्ज पर ब्याज चुकाने में खर्च करती है. यह 16 साल में सबसे ज़्यादा है. एक मायने में यह किसी पोंजी स्कीम या चिट फंड से कम नहीं है. इकोनॉमी पर भारी-भरकम पोथा लिख चुके एक ज्ञानी व्यक्ति ने कह दिया है कि 2014 में 10 लाख की एफडी पर आप 11 हज़ार कमा रहे थे, जबकि अभी 23,500 का नुकसान झेल रहे हैं.
भारत में बैंकों में 150 लाख करोड़ जमा हैं और देश सालाना 3.7 लाख करोड़ का नुकसान सिर्फ़ इसलिए झेल रहा है, क्योंकि मोदी सरकार गले तक कर्ज़ में डूबी है. 7 साल में मोदी सरकार ने 65 लाख करोड़ उधार लिए. 10 साल में मनमोहन सरकार ने 27 लाख करोड़ रुपये उधार लिए थे. फ़र्क़ यही है. बाकी कुछ लोग इस हालात पर भी गर्व कर सकते हैं. बाकी समझ में तब आयेगा जब जब बैंक वाले आपको भगाने लगेंगे.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.
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