Bermo : हूल दिवस पर बेरमो के लोगों ने शहीद सिधो-कान्हू को याद किया. गोमिया प्रखंड के सिंयारी पंचायत के मांझी हाउस में बड़ी संख्या में महिला और पुरूष जुटे और सिद्धू, कान्हू, चांद, भैरव, फुलो और झानो की तस्वीर पर फुल अर्पित कर उनके बलिदान को याद किया. इस मौके पर हूल गोमिया प्रखंड के प्रमुख प्रमिला चौडे ने कहा कि सिद्धू कान्हू ने 1855 में जो आंदोलन चलाया था, वह आज हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने कहा उसी समय जनांदोलन का एक समग्र स्वरूप सिद्धू कान्हू ने पेश किया था. लिहाजा इसी हूल के कारण 1857 का विद्रोह का परिणाम था. इसलिए इस क्रान्ति को संताल विद्रोह के रुप में याद किया जाता है. सिधो कान्हू का आदिवासी अस्मिता को बनाए रखने और शोषण व उपनिवेशवाद के विरुद्ध जनमानस को जागरूक करने में अहम भूमिका रही.
इसे भी पढ़ें- जमशेदपुर : हूल दिवस पर सुन्दरनगर से करनडीह तक निकाली गई रैली
1855 में अंग्रेजों के खिलाफ फूंका था विद्रोह का बिगुल
वहीं वक्ताओं ने कहा कि झारखंड भारत के आजादी के पहले और आजादी के बाद भी अपने खनिज संसाधनों के कारण उपनिवेशवाद का शिकार हुआ है, और आज भी हो रहा है. मौके पर सिंयारी मुखिया रामवृक्ष मूर्मु ने कहा कि दुनिया के धरती को बचाने के लिए हूल दिवस को याद करना जरूरी है. इसी हूल के कारण संताल परगना में जमीन बचाने का कानून बना है. पूर्व प्रमुख गुलाब चन्द्र हांसदा ने कहा कि सिद्धू कान्हू ने अपनी जमीन बचाने के लिए क्रान्ति की थी. अंग्रेजों के खिलाफ झारखंड के आदिवासियों ने 1855 में ही अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था.
इसे भी पढ़ें- साहिबगंज : हूल दिवस पर भोगनाडीह-पंचकठिया पहुंचे सीएम हेमंत सोरेन
सिधो-कान्हू ने अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों का किया था विरोध
30 जून 1855 को सिदो-कान्हू के नेतृत्व में साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव में पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ संताल आदिवासियों ने एकजुट होकर अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों का विरोध किया था. राम कुमार हांसदा ने कहा कि हूल दिवस हमें अपनी संस्कृति और धरोहर बचाने के लिए प्रेरणा देता है. हूल दिवस में सांस्कृतिक टीम द्वारा संताली नृत्य और गीत प्रस्तुत किया गया. इस अवसर पर दामोदर बचाओ अभियान झारखंड के गुलाब चन्द्र, बिन्नी सोरेन, बाबु चन्द हांसदा, सोमरी देवी, छोटे लाल मांझी, शिव लाल टुडू, फागु सोरेन, बीरु मांझी, नारायण सोरेन, ढेना राम, राम कुवंर सोरेन मुख्य रूप से उपस्थित थे.