Bermo : गोमिया के साड़म ग्राम निवासी महमूदा खातून पेंशन की आस में है. उनके पति अजहर अंसारी का निधन दस माह पहले हो गया है. अंसारी को झारखंड आंदोलनकारी की पेंशन मिलती थी. अब वह नहीं रहे, तो उनकी पत्नी महमुदा खातून ने पेंशन के लिए अर्जी दी है, लेकिन चार माह गुजर जाने के बाद भी पेंशन मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं.
प्रखंड कार्यालय से भेज दिये गए कागजात
अब उन्होंने मुख्यमंत्री से पेंशन दिलाने की मांग की है. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के राज्य कार्यकारिणी सदस्य अफजल दुरानी ने बताया कि विगत 25 अगस्त 2021 को सभी आवश्यक दस्तावेज के साथ पेंशन के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी गोमिया को आवेदन दिया गया है. कुछ दिन बाद प्रखंड कार्यालय से जानकारी ली गई तो पता चला कि सभी कागजात आवश्यक कार्रवाई के लिए जिला भेज दिये गये हैं. जब जिला कार्यालय में जानकारी ली गई तो वहां बताया गया कि रांची से स्वीकृति मिलने पर ही पेंशन दी जा सकती है.
यह अधिकारियों की मनमानी: छात्र नेता
छात्र नेता ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी की पत्नी उम्रदराज महिला है. पेंशन के लिए कहां कहां जाएगी. यह झारखंड सरकार के अधिकारियों की मनमानी है. झारखंड आंदोलनकारी के परिजनों और उनके आश्रितों को भटकना पड़ रहा है. अंसारी झारखंड आंदोलनकारी के साथ साथ विस्थापितों के भी नेता थे. उन्होंने पूरी जिंदगी झारखंड आंदोलन और विस्थापितों के लिए संघर्ष किया. आज उनकी पत्नी पेंशन के लिए भटक रही है. मुख्यमंत्री को महमुदा खातून की फ़रियाद सुननी चाहिए.
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