Lagatar Impact/Bermo: जिस इंसान के पास घर नहीं है, वही घर होने की अहमियत को समझता है. छः माह पूर्व तेज बारिस के कारण गोमिया के भदवा खेत स्थित एक गरीब संतोष रविदास की छत टूट गई थी. उसने सरकार की ओर से मिलने वाली प्रधानमंत्री आवास के लिए प्रक्रिया की ओर टकटकी लगाए छः माह गुजार दिया. लेकिन वहां से भी उसे निराशा हाथ लगी. इसी बीच 7 जनवरी को उसका निधन हो गया. इस खबर को लगातार.इन ने प्रमुखता से लिया. ख़बर प्रकाशित होते ही सरकारी महकमे ने इस मामले को गंभीरता को समझा. लिहाजा प्रखंड विकास पदाधिकारी कपिल कुमार एवं अंचल अधिकारी ओमप्रकाश मंडल ने मृतक के घर जाकर जायजा लिया.
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मृतक की पत्नी को मिला अम्बेडकर आवास
विधिक सेवा सह सशक्तिकरण शिविर कार्यक्रम में मृतक की पत्नी लीला देवी को अंबेडकर आवास की स्वीकृति पत्र मिला है. अपने घर पर बच्चों के साथ चूल्हे पर खाना बना रही थी. शाम को हल्की बारिश हो रही थी, तो वे चुल्हा को इधर से उधर कर रही थी. उन्होंने स्वीकृति पत्र दिखाया और संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि जितना जल्दी आवास की राशि मिलेगी, वह आवास का निर्माण शुरू कर देंगी. उन्होंने कहा कि सामुदायिक भवन में रहना अच्छा नहीं लगता है. आज भी वह इस टूटे हुए मकान में खाना बनाती है. उनका कहना है कि सामुदायिक भवन, समुदाय का है. इसलिए वहां खाना बनाना अच्छा नहीं लगता. यह बात अलग है कि गांव वाले हमें वहां रहने के लिए दिए हैं. लेकिन घर पर ही खाना बनाना अच्छा लगता है. सामुदायिक भवन में जाकर सपरिवार सोते हैं. क्योंकि छप्पर टूटा हुआ है.
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आवास का स्वीकृति पत्र मिलने से खुशी
आज जब प्रखंड कार्यालय में उन्हें आवास की स्वीकृति पत्र मिला तो उनके मन में संतोष साफ दिख रहा था. पति के निधन के बाद वह काफी निराश थी और अंदर से टूट गई थी. घर पर एक बेटी और दो बेटा हैं. उन्होंने कहा कि पति के निधन के बाद उसे डर सा महसूस होता था. इसलिए अपनी मां को अपने साथ रख लिया है. ताकि अभिभावक का साया उसके ऊपर रहे. महिला अंदर से दुखी है, लेकिन घर मिलने की खुशी झलक रही थी. लीला देवी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास के लिए 2011 के सेक डाटा में उसका नाम था. उन्होंने बीडीओ और सीओ को धन्यवाद दिया है.
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