Patna : यह नीतीश सरकार का ही कमाल है कि उसने नारी सशक्तीकरण को महत्व दिया और आज राज्य में 16 साल में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 22 गुना से ज्यादा बढ़ी है. खाकी वर्दी में कंधे पर इंसास लिए विधि-व्यवस्था की ड्यूटी हो या हाथ में चालान काटने की मशीन लिए ट्रैफिक की कमान, हर जगह महिला पुलिसकर्मी तैनात दिखेंगी. आपको यह नजारा सिर्फ राजधानी पटना में ही देखने को नहीं मिलेगा, बल्कि जिला मुख्यालयों से लेकर कसबाई बाजारों में भी महिला पुलिसकर्मी उसी तादाद में नजर आती हैं जैसे बड़े शहरों में. पर, कुछ साल पहले तक यह मुमकिन नहीं था. इक्का-दुक्का महिलाएं ही कभी-कभार पुलिस की वर्दी में दिखती थीं. गृह विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बिहार पुलिस में सिपाही, एएसआई व एसआई के पदों पर बीते 16 वर्षों में महिलाओं की तादाद 22 गुना से ज्यादा बढ़ी है.
इसे भी पढ़ें-बिहारः 12 बार कोविड वैक्सीन लगवा चुके ब्रह्मदेव मंडल ने की बूस्टर डोज लगवाने की मांग
16 वर्षों में बदल गये हालात
बिहार पुलिस में साल 2005 में सिपाही से लेकर दारोगा तक मात्र 867 महिलाएं थीं. इनमें 805 सिपाही, 11 एएसआई और 51 एसआई के पद पर कार्यरत थीं. पर 16 वर्षों में हालात बिल्कुल बदल गए हैं वर्ष 2005 के मुकाबले इनकी संख्या में 22 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है. वर्ष 2021 के आखिर तक बिहार पुलिस में इन तीन पदों पर महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 19 हजार 851 थी. इसमें सर्वाधिक 18 हजार 744 सिपाही, 225 एएसआई और 882 दारोगा हैं. वहीं जनवरी में नियुक्त की गयी 833 महिला दारोगा को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 20 हजार 684 हो जाएगी. साल 2016 में भी महिला पुलिसकर्मियों की संख्या ठीकठाक थी. तब सिपाही, एएसआई और एसआई के पद पर कुल 6575 महिलाएं कार्यरत थीं. पर बीते पांच वर्षों में इनकी संख्या में करीब तीन गुना का इजाफा हुआ है.
इसे भी पढ़ें-बेरमो : बिंदेश्वरी दुबे मजदूरों के सच्चे हितैषी थे- जयमंगल सिंह
35 प्रतिशत मिला आरक्षण
बिहार देश का पहला राज्य हैं जहां सिपाही से दारोगा तक की सीधी बहाली में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. साल 2013 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा की थी, जिसके बाद महिलाएं बड़ी संख्या में पुलिस में शामिल हो रही हैं.