अधिकारियों की मानें तो एक प्रखंड में लगभग 60 से 70 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है, लेकिन कई एजेंसियों ने एक करोड़ से अधिक का बिल दे दिया है. तीन प्रखंडों में तो लगभग दो करोड़ का खर्च होने का दावा किया गया है.
Patna : बिहार विधानसभा चुनाव में फर्जी बिल का मामला पकड़ में आने के बाद पंचायत चुनाव के बिल में भी गड़बड़ी की जांच होगी. इसके लिए डीएम ने जांच टीम गठित कर दी है. डीआरडीए के निदेशक और जिला लेखा पदाधिकारी भी जांच टीम में शामिल किए गए हैं. कमेटी ने जांच शुरू कर दी है. एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट दे सकती है. अधिकारियों का कहना है कि लगभग आठ करोड़ रुपये का फर्जी बिल होने का अनुमान है, जो जांच में पकड़ में आ सकता है.
चुनाव कराने के नाम पर तीन प्रखंडों में दो करोड़ का खर्च
दरअसल, पंचायत चुनाव का काम कराने वाली एजेंसियों द्वारा दिए गए बिल में फर्जीवाड़े की आशंका है. इसकी जांच प्रखंड स्तर पर कराई जा चुकी है. उसके बाद कई बीडीओ ने आवंटन की मांग भी कर दी. बावजूद बिल में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने जांच कराने का फैसला लिया है. अधिकारियों की मानें तो एक प्रखंड में लगभग 60 से 70 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है, लेकिन कई एजेंसियों ने एक करोड़ से अधिक का बिल दे दिया है. तीन प्रखंडों में तो लगभग दो करोड़ का खर्च होने का दावा किया गया है.
21 एजेंसियों ने किया था काम
30 अगस्त 2021 को जिला प्रशासन ने पंचायत चुनाव में वाहन, ईंधन, कुर्सी, टेबुल, पंडाल, शामियाना, अस्थायी विद्युत व्यवस्था, भोजन, नाश्ता, चाय, पानी, सीसीटीवी कैमरा, वीडियोग्राफी के कार्य के लिए 21 एजेंसियों के साथ एकरारनामा किया था. जिलास्तर से ही एजेंसियों को प्रखंडों में काम करने के लिए भेज दिया गया.
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बिल में अंतर से हुई गड़बड़ी की आशंका
डीएम ने सभी बीडीओ को अपने स्तर से जांच कराने को कहा था. प्रखंडस्तरीय जांच में भी फर्जी बिल पाया गया इसके बाद अधिकारियों की आशंका और बढ़ती गई. जिला पंचायत राज पदाधिकारी ने इसकी सूचना डीएम को दी. उसके बाद डीएम ने चार मई 2022 को अपर समाहर्ता राजस्व के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया.
सभी प्रखंडों से बिल विपत्र मंगाए गए
जांच टीम ने सभी बीडीओ से कहा है कि बिल विपत्रों को भेजें. एजेंसियों द्वारा खर्च का किया गया दावा तथा प्रखंडस्तरीय जांच टीम ने कितने की स्वीकृति दी है, उसका मिलान किया जाएगा. जांच के दौरान संबंधित प्रखंडों के बीडीओ को भी बुलाया जा सकता है ताकि पता चल सके कि कितने का फर्जी विपत्र है.
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