Patna : देश की राजनीति में बिहार विधानसभा चुनाव खासा महत्व रखता है. जनसंख्या के लिहाज से देखा जाए तो बिहार देश के 5 टॉप राज्यों में शामिल है. वहीं बात करें यहां कि चुनाव की तो बिहार चुनाव पर पूरे देश की निगाहें होती है. बात बिहार में चुनाव की हो तो यहां कि दिलचस्प किस्सों का जिक्र ना हो तो अधूरा सा लगता है.
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किसी दल को नहीं मिला था स्पष्ट बहुमत
हम बात कर रहे हैं साल 2005 कि जब पहली बार ऐसा हुआ था जब बिहार में एक ही साल के अंदर लगातार दो बार विधानसभा चुनाव कराने पड़े थे. दरअसल उस दौरान चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. फरवरी 2005 में हुए इन चुनावों में राबड़ी देवी के नेतृत्व में आरजेडी ने 215 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से उसे 75 सीटें मिल पाईं थी. वहीं बात करें जेडीयू की तो उसने 138 सीटों पर चुनाव लड़ा जिनमें 55 सीटें जीतीं और बीजेपी ने 103 में 37 सीटें जीत पायी.
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बिहार में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस ने खोयी थी राजनीतिक जमीन
बिहार में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस इन चुनावों में 84 में से 10 सीटें ही जीत पाई थी. इन चुनावों में 122 सीटों का स्पष्ट बहुमत ना मिल पाने के कारण कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया और कुछ महीनों के लिए यहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. इसके बाद अक्टूबर-नवंबर में यहां फिर से विधानसभा चुनाव हुए, दूसरा चुनाव बिहार से झारखंड के अलग हो जाने के बाद हुआ था.
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