Ranchi: राजनीति में कब कौन दुश्मन दोस्त और कब कौन जिगरी दोस्त दुश्मन बन जाए यह कोई नहीं जानता. कल तक एक दूसरे को गले लगाने वाले और कार्यक्रमों में साथ नजर आने वाले बोकारो के दो बड़े नेता आज जानी दुश्मन बने हुए हैं. करीब 20 दिन से बीजेपी विधायक और बीजेपी के सचेतक बिरंची नारायण और बेरमो के पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल एक दूसरे पर लगातार कीचड़ उछाल रहे हैं. बात केस-मुकदमे तक पहुंच गई है. ऐसा लग रहा है मानो ये दोनों नेता बीजेपी प्रदेश नेतृत्व के नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं. लेकिन अपनी हरकतों से पार्टी की भद पिटवाने वाले इन दोनों नेताओं पर प्रदेश नेतृत्व की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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बिरंची पर बैंक डिफॉल्टर होने का आरोप
दरअसल योगेश्वर महतो बाटुल ने बिरंची नारायण पर बैंक डिफॉल्डर होने का आरोप लगाया था. उनका आरोप है कि बोकारो विधायक जिस ट्रस्ट में शामिल थे, उसपर 3 करोड़ रुपया बैंक का बकाया है. आखिर इस बकाये राशि का बिरंची ने क्या किया. उन्होंने बोकारो में बन रहे एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, रियल एस्टेट कारोबार सहित कहां-कहां रुपये लगाये हैं, ये विधायक को बताना चाहिए. योगेश्वर का कहना है कि अस्पताल, स्कूल और रियल स्टेट कारोबार में बिरंची नारायण, उनकी पत्नी और साले साझेदार हैं. सही से जांच हुई तो पूरा मामला खुलकर सामने आ जाएगा.
बिरंची एक मुकदमा करेंगे तो बाटुल 1000 मुकदमा करने को तैयार
बाटुल का आरोप है कि विधायक बोकारो में स्टेडियम और नरकेरा मौजा में क्रिकेट स्टेडियम इसलिए बनवा रहे हैं ताकि वहां जमीन का धंधा कर सकें. नरकेरा में उनके पिता की 6 एकड़ जमीन होने का भी दावा बाटुल ने किया. वहीं बिरंची का कहना है कि उनके पिता और दादा तो छोड़िये किसी सगे-संबंधी की भी एक इंच जमीन नरकेरा मौजा में है, तो बाटुल साबित कर दें वरना अपने बयान के लिए एक सप्ताह में माफी मांगे वरना वो मानहानि का मुकदमा करेंगे. इसके जवाब में बाटुल ने कह दिया कि अगर बिरंची एक मुकदमा करेंगे तो वे उनपर एक हजार मुकदमा कर देंगे.
ढुल्लू और रविंद्र राय ने भी एक-दूसरे के कैरेक्टर पर उठाये कई सवाल
सिर्फ बिरंची और बाटुल ने ही अपनी लड़ाई से पार्टी की भद नहीं पिटवाई है. इससे पहले कोयलांचल और कोल्हान के नेताओं ने भी ऐसा कारनामा किया है. जिसमें बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो और गिरिडीह के पूर्व सांसद रविंद्र पांडेय भी शामिल हैं. 2018 में दोनों नेताओं पर महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. तब ढुल्लू विधायक और रविंद्र पांडेय गिरिडीह के सांसद थे. ढुल्लू ने आरोप लगाया था कि रविंद्र पांडेय कांग्रेस नेताओं के साथ मिलकर उनकी छवि को खराब कर रहे हैं. ढुल्लू ने कहा था कि रविंद्र पांडेय का गोमिया, ललपनिया, कसमार, खैराचातर आदि जगहों में भी कई महिलाओं के साथ संबंध हैं. पांडेय की इन्हीं कारगुजारियों के चलते गोमिया में उन्हें एक बार रात में बंधक बनाया गया था. वहीं रविंद्र पांडेय ने भी ढुल्लू के खिलाफ खूब आग उगला था. इस प्रकरण में बीजेपी की ओर से दोनों नेताओं को शो-कॉज तो किया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हां लेकिन प्रकरण में ढुल्लू भारी पड़ गये. उनका टिकट तो नहीं कटा, लेकिन रविंद्र पांडेय का टिकट काट कर चंद्रप्रकाश चौधरी(आजसू) को दे दिया गया.
रघुवर और सरयू प्रकरण में भी पार्टी की खूब हुई थी किरकिरी
जमशेदपुर में रघुवर दास और सरयू राय की लड़ाई से भी पार्टी की खूब किरकिरी हुई थी. तत्कालीन रघुवर सरकार में विभिन्न विभागों में चल रही गड़बड़ियों को उजागर करने और सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने पर रघुवर और सरयू आमने-सामने आ गये थे. 2019 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सरयू और रघुवर में टकराव शुरू हो गया. सरयू ने ट्विटर बम फोड़ने शुरू कर दिये.
उस वक्त प्रदेश नेतृत्व ने पहली बार अनुशासनात्मक कार्रवाई की. वह भी सिर्फ सरयू राय पर और उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, क्योंकि उस वक्त प्रदेश नेतृत्व रघुवर के प्रभाव में था.
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