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Ranchi : आदिम जनजाति के संरक्षण को लेकर सरकार विभिन्न योजनाएं चलाती है. इसी के तहत बिरसा आवास निर्माण योजना भी है. रांची जिले में 2020-21 में योजना के तहत मात्र 11 लोगों को ही लाभ दिया गया. योजना का लाभ देने के लिए बुंडू के एक गांव को चिह्नित किया गया था. इसमें शुरुआती दौर में कुल 13 लाभुक चिह्नित थे, जिसमें से एक की मृत्यु हो गयी थी और एक के लिए आवंटित राशि के पैसे कम पड़ गये थे. इस वर्ष के लिए सराकर ने विभाग को लगभग 14 लाख रुपये की राशि आवंटित की थी. वहीं 2019-20 के लिए योजना लागू ही नहीं की गयी थी. इससे पूर्व 2018-19 के लिए 53 लाभुकों को योजना का लाभ दिया गया था. इसमें लापुंग के 5, खलारी के 8, बुंडू के 9, राहे के 16, तमाड़ के 12 और चान्हो के 3 लाभुक शामिल थे. इसके लिए सरकार ने 69,69,500 रुपये राशि आवंटित की थी.
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आदिम जनजाति के संरक्षण के लिए नये परिवारों को दिया जाता है आवास
यह योजना आदिम जाति के संरक्षण के लिए है. इसके बारे में आईटीडीए के निदेशक सुधीर बाड़ा ने बताया कि बिरसा आवास आदिम जनजाति में नये परिवारों को दिये जाते हैं. इसमें वे शामिल हैं, जिन्होंने शादी कर अपना नया जीवन बसाया है. इससे हम विलुप्त हो रही आदिम जनजाति को संरक्षित कर सकें.
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योजना का लाभ क्लस्टर सिस्टम से लागू करने का किया जाता है प्रयास
उन्होंने बताया कि योजना को लागू करने के लिए क्लस्टर सिस्टम को अपनाया जाता है. यानि एक वैसे क्षेत्र को चिह्नित किया जाता है, जहां अधिक से अधिक लाभुक एक ही जगह मिल जायें. साथ ही सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी राशि से ज्यादा से ज्यादा लाभुकों को योजना का लाभ मिल सके. अलग-अलग जगह पर होने से ट्रांसपोर्टेशन चार्ज सहित अन्य चीजों के लिए खर्च बढ़ जाता है. इससे आवंटित राशि से अधिक खर्च हो जाता है.
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