New Delhi : भाजपा ने इजराइल-हमास संघर्ष पर कांग्रेस के रुख की आलोचना करते हुए इसे वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित करार दिया और पूछा कि आखिरी बार प्रमुख विपक्षी पार्टी की सबसे वरिष्ठ नेता ने अंतरराष्ट्रीय संघर्ष पर अखबार में कब लिखा था. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आज सोमवार को कांग्रेस पर करारा हमला ऐसे समय में किया है, जब कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक अखबार में लिखे लेख में कहा कि उनकी पार्टी संयुक्त राष्ट्र के उस हालिया प्रस्ताव पर भारत के अनुपस्थित रहने का कड़ा विरोध करती है, जिसमें गाजा में पैदा हुए संकट के बीच मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया है.
सोनिया गांधी ने सरकार के फैसले की आलोचना की
सरकारी सूत्रों ने कहा है कि प्रस्ताव में हमास के आतंकवादियों द्वारा सात अक्टूबर को इजराइल पर किये गये हमले का कोई जिक्र नहीं होना भारत के अनुपस्थित रहने का कारण है, क्योंकि आतंकवाद से कोई समझौता नहीं किया जा सकता. सोनिया गांधी ने सरकार के फैसले की आलोचना की और कहा कि मानवता अब इम्तिहान के दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा कि यह त्रासदी गाजा में और उसके आसपास इजराइली सेना के अंधाधुंध अभियानों’ के कारण और बढ़ गयी है, जिसके चलते बड़ी संख्या में निर्दोष बच्चों, महिलाओं और पुरुषों सहित हजारों लोगों की मौत हो गयी है.
आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर कोई राजनीति नहीं हो सकती
कांग्रेस पर पलटवार करते हुए त्रिवेदी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर कोई राजनीति नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर अगर-मगर की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए और भारत का रुख स्पष्ट है. उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस की वरिष्ठतम नेता ने आखिरी बार अंतरराष्ट्रीय संघर्ष पर कब लिखा था? उन्होंने कहा, यह दुखद है कि कांग्रेस की नीति भारत की प्रतिष्ठा और गरिमा के अनुरूप नहीं है, बल्कि तुच्छ वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है. कांग्रेस जो कुछ भी कर रही है, वह भारत की नीति के खिलाफ है.
आतंकवाद को अप्रत्यक्ष समर्थन भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचा रहा है
उन्होंने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि यहां तक कि आतंकवाद को अप्रत्यक्ष समर्थन भी मानवता और भारत की सुरक्षा एवं हितों को नुकसान पहुंचा रहा है. त्रिवेदी ने कहा कि राजीव गांधी सरकार के समय में ही इजराइल के साथ राजनयिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जमीन तैयार की गयी थी और पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किये गये.
फलस्तीन मुद्दे पर सरकार की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है
त्रिवेदी ने कहा कि तत्कालीन विपक्ष के नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने कई मुद्दों पर भारत का रुख स्पष्ट करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की यात्रा की थी और राव के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार के साथ एक स्वर में बात की थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि फलस्तीन मुद्दे पर सरकार की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है, क्योंकि भारत शांतिपूर्ण तरीकों से समाधान का पक्षधर है.
यह उल्लेख करते हुए कि कांग्रेस कार्य समिति के एक प्रस्ताव में हमास के हमले का कोई उल्लेख नहीं किया गया है, उन्होंने आश्चर्य जताया कि क्या विपक्षी गठबंधन इंडिया नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस की टैगलाइन जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया भारत की तर्ज पर जुड़ेगा कट्टरपंथी, जीतेगा हमास है…