Ranchi: झारखंड का आवास बोर्ड घोटालों का बोर्ड बना हुआ है. 21 साल में हाउसिंग बोर्ड में दो दर्जन से ज्यादा बड़े स्कैम हुए हैं. सबसे ज्यादा घोटाले उस वक्त हुए जब हाउसिंग बोर्ड के एमडी वीरेंद्र राम और ब्रृजमोहन कुमार थे. सबसे ज्यादा घोटाले और गड़बड़ियां एमडी ब्रृजमोहन कुमार के समय हुआ. उनके कार्यकाल में हाउसिंग बोर्ड में जमकर लूट-खसोट मचा. सचिव की रोक के बावजूद ठेकेदारों को 5 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया. 300 से ज्यादा फ्लैट बगैर नक्शा पास किये बगैर बनाने का भी आरोप लगा. वहीं इनसे पहले एमडी रहते वीरेंद्र राम ने 2500 वर्ग फुट की जमीन गलत तरीके से अपनी पत्नी के नाम आवंटित कर दिया था.
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हाउसिंग बोर्ड के दफ्तर के टेंडर में घोटाला
हाउसिंग बोर्ड की जमीन छोड़िये आवास बोर्ड की नई बिल्डिंग के निर्माण में ही इन्होंने सरकार को चूना लगा दिया. रांची के सहजानंद चौक के पास बनने वाले हाउसिंग बोर्ड के तीन मंजिला दफ्तर के हर फ्लोर के निर्माण के लिए अलग-अलग टेंडर करा दिया. विभागीय जांच हुई तो पाया गया कि एमडी बृजमोहन कुमार और ईई संजीव कुमार ने तत्कालीन सचिव से बिना सहमति लिये फर्स्ट फ्लोर के टेंडर और वर्क ऑर्डर निकलवा कर काम करवा दिया.
500 करोड़ से बने 2300 मकानों पर अवैध कब्जा
फरवरी 2018 में उनके हाउसिंग बोर्ड के एमडी का पद संभालने के बाद रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद और दुमका में 500 करोड़ रुपये से 2300 बने घरों और जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा हुआ. इनसे किराया वसूलने के लिए अधिकारियों ने अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की.
कमीशन के लिए सस्ते फ्लैट कर दिये महंगे, नहीं बिकने पर सरकार को नुकसान
ब्रृजमोहन कुमार के एमडी रहते कमीशन के चक्कर में सस्ते फ्लैटों को महंगा कर दिया गया. जिसके कारण अधिकांश फ्लैट नहीं बिके और सरकार को नुकसान हुआ.एस्टिमेटेड से 7 से 10 फीसदी अधिक कीमत पर निर्माण का ठेका दिया गया, जिस वजह से हर फ्लैट की कीमत 10 से 20 लाख रुपये तक बढ़ गई. अधिक कीमत होने की वजह से आवास बोर्ड के करीब 400 फ्लैट नहीं बिक पाये.
3 महीने के लिए बहाल चीफ इंजीनियर के कार्यकाल में 50 करोड़ का टेंडर
ब्रृजमोहन कुमार के कार्यकाल में अशोक राम नाम के एक चीफ इंजीनियर को कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल किया गया. चीफ इंजीनियर के तीन माह के कार्यकाल में 50 करोड़ से भी ज्यादा का टेंडर हाउसिंग बोर्ड की तरफ से निकाला गया. इसे लेकर बोर्ड के पूर्व सचिव निरंजन कुमार की शिकायत पर जांच हुई थी, जिसमें पाया गया कि अफसरों ने नियम के खिलाफ जाकर मनमुताबिक काम किया है.
बिना नक्शा पास कराये बन गये 400 से ज्यादा फ्लैट
2018-19 में एमडी और ईई ने 200 करोड़ रुपये में 400 से ज्यादा फ्लैट बनवाये, लेकिन इनमें से एक भी अपार्टमेंट का नक्शा नगर निगम से पास नहीं कराया गया. सरकारी भवनों का नक्शा पास करने में सिर्फ 1 रुपये लग रहा था. लेकिन चोरी पकड़े जाने के डर से बगैर नक्शा निर्माण हुआ. अक्टूबर 2019 में 336 फ्लैट के लिए लॉटरी निकली, लेकिन बिक्री नहीं हुई. इसके बाद भी 150 नये फ्लैट का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया.
एमडी ने पत्नी के नाम गलत तरीके से आवंटित कर दी जमीन
2008-09 में तत्कालीन हाउसिंग बोर्ड के एमडी वीरेंद्र राम ने बोर्ड के 2500 वर्गफुट कट प्लॉट को गलत तरीके से अपनी पत्नी के नाम आवंटित कर दिया था. इतना ही नहीं उनकी पत्नी प्रसन्ना नारायण ने प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रहते निम्न आय वर्ग के कोटे से भी मकान आवंटित कराया था. यह खुलासा उनके बाद एमडी बने दिलीप झा ने किया था.
गलत तरीके से आवंटित कई लोगों को आवंटन हुआ था रद्द
2015 में हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन एमडी दिलीप झा ने कई लोगों को हाउसिंग बोर्ड की ओर से दी गई जमीन का आवंटन रद्द कर दिया था. आरोप था कि गलत तरीके से जमीन आवंटित की गई है. आईपीएस एमएस भाटिया, इंस्पेक्टर रंजीत सिन्हा और पूर्व विधायक संजय यादव की पत्नी के नाम आवंटित जमीन का आवंटन रद्द किया गया था.
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