दिनेश कुमार पांडेय
Bokaro : बोकारो जिले के चास अंचल में सरकारी भूमि पर भू-माफियाओं की गिद्ध की नज़र है. जिस भूमि को भूमिहीन आदिवासियों के लिए सुरक्षित कर अधिग्रहित कर रखा गया, उस भूमि के अधिकांश हिस्सों पर भू-माफिया कब्ज़ा कर चुके है. लेकिन इसे लेकर प्रशासनिक गलियारों में हैरान करने वाला सन्नाटा है.
चास अंचल के मौजा नारायणपुर खाता संख्या 317, प्लाट संख्या 3589 भूमि सरकारी है. इस भूमि को 43 वर्ष पूर्व भूमिहीन आदिवासियों को बसाने के लिए लगभग 21 एकड़ भूमि को सुरक्षित किया गया था. इसी जगह 4 एकड़ भूमि वन विभाग की भी है. इसी जमीन पर 25 आदिवासी परिवारों को मुंडा टोला बस्ती बनाकर पूर्व में बसाया गया था. इस दौरान लगभग 10 एकड़ भूमि खाली रह गई थी. 2016 में एनएच 23 बनाने का जब प्रस्ताव पारित हुआ तो जमीन के बीचोबीच फोर लेन बना. लिहाजा जमीन के दो हिस्से हो गए. आज दूसरे हिस्से की जमीन पर भू-माफिया कब्जा कर रहे हैं. जबकि यह जमीन खरीद बिक्री के लिए प्रतिबंधित है. भूमि का समतलीकरम कर दिया गया है. जहां चोरी छिपे निर्माण कार्य शुरू है. कई भवन निर्माणाधीन है. जिसे आज तक अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त नहीं कराया गया.
सीओ ने लगवाई थी नोटिस बोर्ड
जमीन को सुरक्षित रखने के लिए तत्कालीन सीओ दिवाकर प्रसाद दिवेदी ने सरकारी भूमि पर नोटिस बोर्ड लगवाई थी, जो अब वहां नहीं है. नाम नही छापने की शर्त पर स्थानीय लोगो ने बताया कि बोर्ड को जमीन माफियाओं ने डेढ़ साल पूर्व उखाड़ कर फेंक दिया है. वर्तमान सीओ दिलीप कुमार ने कहा कि नोटिस बोर्ड हटाना अपराध की श्रेणी में आता हैं. इसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.
वन विभाग ने की थी करवाई
आदिवासियों के लिए सुरक्षित भूमि के बगल में 4 एकड़ भूमि वन विभाग की है. विभाग ने एक वर्ष पूर्व अपनी जमीन पर कार्रवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों से खाली करवाया था.
अतिक्रमण की नहीं है जानकारी : सीओ
सीओ दिलीप कुमार ने कहा कि उन्हें किसी तरह के अतिक्रमण की जानकारी नहीं है. अभी तक किसी ने उन्हें इस बाबत शिकायत भी नहीं की है. सीओ ने कहा कि वो इस मामले में जांच करवाएंगे. सरकारी जमीन को हर हाल में कब्ज़ामुक्त कराया जाएगा.
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