Dinesh Pandey
Bokaro : सरकार एक तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है. बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं भी चलायी जा रही है. दूसरी तरफ झारखंड की बेटी और ताइक्वांडो चैंपियन साधना आर्थिक तंगी के कारण खेल से भी मुंह मोड़ रही है. साधना ने कई बार सरकार से मदद की गुहार लगाई. लेकिन इस पर कोई पहल नहीं की गयी. (पढ़ें, प्रशांत किशोर ने कहा, पीएम मोदी ने भाजपा को ऐसे रास्ते पर पहुंचा दिया है जहां उसे चुनौती देना आसान नहीं…)
पैसों की कमी के कारण कई प्रतियोगिताओं वंचित
साधना चास के हरिमंदिर के पीछे वार्ड संख्या 20 की निवासी है. साधना ने बताया कि उसके पिता की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी. जिसके बाद पूरा परिवार आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है. पर्याप्त पैसे नहीं होने के कारण वो कई प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पा रही है. उसने पढ़ाई भी छोड़ दी है. पिछली सरकार में चंदनकियारी के विधायक अमर बाउरी राज्य के कला एव संस्कृति मंत्री थे. उसने अमर बाउरी से भी मदद मांगी थी. लेकिन उन्होंने इस पर कोई पहल नहीं की.
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साढ़े तीन हजार में परिवार चलाना दूभर
बता दें कि साधना ने इंटरनेशनल और नेशनल प्रतियोगाओं में कई मेडल अपने नाम कर चुकी है. साधना 18 गोल्ड, 20 सिल्वर और 12 से अधिक ब्रान्च मेडल देश के नाम कर चुकी हैं. लेकिन पिता के देहांत के बाद वो दो जून की रोटी के मोहताज हो गयी हैं. लेकिन उसे किसी ने सहयोग नहीं किया. साधना की मां ने बताया कि पति के मौत के बाद पूरा परिवार टूट चुका है. उनके लिए परिवार चलना दूभर हो गया है. साढ़े तीन हजार की नौकरी करके वो तीन बेटियों का पालन-पोषण कर रही है. पैसों की कमी होने के कारण बेटियों की पढ़ाई भी बाधित हो गयी है.
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