Vijay Kesari
झारखंड सरकार के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने 27 फरवरी को विधानसभा के पटल पर वर्ष 2024-25 का बजट प्रस्तुत किया. यह बजट गांव, गरीब, किसान और रोजगार सृजन पर केन्द्रित है, लेकिन बजट शहरों को अछूता नहीं छोड़ा है, बल्कि कई शहरों के विकास के लिए एक अच्छी खासी राशि बजट में प्रस्तावित की गई है. यह उनका वित्त मंत्री के रूप में पांचवां बजट रहा. जबकि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का यह पहला बजट रहा. इस बजट के उपरांत जब यह सरकार दोबारा चुनकर आएगी, तभी 2025-26 का बजट प्रस्तुत कर पाएगी. अर्थात मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव दोनों का अपने अपने कार्यकाल का अंतिम बजट कहा जा सकता है. बजट के प्रावधानों के अध्ययन से प्रतीत होता है कि यह बजट प्रांत के सभी वर्गों के लोगों को राहत देने वाला है. यह बजट किसानों, गरीबों, मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों को राहत पहुंचाने वाला बजट है. साथ ही विशेष कर किसानों को इस बजट में बहुत राहत दी गई है. पहले किसानों के 50,000 रूपए तक ही ऋण माफी की गई थी. अब उसकी माफी की सीमा 2 लाख रुपए तक बढ़ा दी गई है. कर्ज का बोझ ढो रहे ऐसे किसानों को बजट के इस प्रावधान से तहुत राहत मिलने वाली है.
बजट के प्रावधानों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि झारखंड सरकार ने बजट बनाते समय आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को ध्यान में रख कर ही इस बजट को अंतिम रूप दिया है. बजट के प्रावधान जिस रूप में प्रस्तुत हुए हैं, उस आधार पर विकास दर लगभग 8 प्रतिशत रहने की संभावना है. अगर इस प्रांत का विकास वर्ष 2024-25 में आठ प्रतिशत रह जाता है, तब यह इस प्रांत के लिए बड़ी बात होगी. मुख्यमंत्री चंपई सोरेन जल, जंगल और जमीन की बात करते हैं. प्रस्तुत बजट जल, जंगल और जमीन को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. इन तीनों क्षेत्रों के विकास के लिए प्रांत के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन कृत संकल्पित हैं, ऐसा माना जा रहा है. उनके पास झारखंड में विकास के लिए मात्र 10 से 11 महीने शेष हैं. वे इतने ही समय में सारी योजनाओं को जमीन पर उतारना चाहते हैं . इस बात की झलक बजट में मिलती है. बजट में प्रस्तावित राशि को इतने कम समय में वे कितना खर्च कर पाते हैं ? यह उनकी कार्यशैली पर भी निर्भर करता है.
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने वर्ष 2024-25 के लिए 1,28,900 रुपयों का कुल बजट सदन में प्रस्तुत किया. राज्य सरकार को कर राजस्व से 34 हजार 200 करोड़ , गैर कर राजस्व से 19 हजार 301 करोड़, केंद्रीय सहायता से 16 हजार 961 करोड़, केंद्रीय करों में राज की हिस्सेदारी 40 हजार 338 करोड़, लोक ऋण से 18 हजार करोड़, उधार एवं अग्रिम वसूली से 100 करोड़ प्राप्त होंगे. झारखंड सरकार ने बजट की अधिकतम राशि स्वयं ही उपार्जित करने का भी संकल्प लिया है. यह राज्य सरकार के लिए एक अच्छी खबर भी है कि वह खुद को अपने पैरों पर खड़ा करना चाहती है. झारखंड सरकार के माथे पर लदे कर्ज के बोझ को कितना कम कर पाती है, इस पर सरकार की कोई घोषणा नहीं हुई है. इससे प्रतीत होता है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को ध्यान में रखकर विकास योजनाओं में ज्यादा जोर दिया गया है, लेकिन आने वाली नई सरकार को इस कर्ज के बोझ को कम करने के लिए बजट में कुछ विशेष उपाय करने की जरूरत है. अन्यथा विकास का पैसा ब्याज में ही खर्च होता चला जाएगा.
प्रस्तुत बजट के अनुसार झारखंड के छ: बड़े शहरों में पलाशा मार्ट निर्माण का प्रस्ताव किया गया है. राज्य सरकार 2500 आंगनबाड़ी केंद्र के भवन का निर्माण करेगी . पेंशन मद में 1 हजार 447 करोड़ 17 लाख का प्रावधान किया गया है. 1 हजार 500 रुपए के मातृ कीट को 6 लाख लाभकारियों के बीच वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है . इस कीट में मच्छरदानी, जच्चा एवं बच्चा के लिए पोशाक, तेल, साबुन, बाल्टी, मग पर 90 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. यह पहली बार हुआ है कि आंगनबाड़ी भवन केंद्रों का इतनी संख्या में निर्माण किया जाना है और इसे एक वर्ष के अंदर ही पूरा करना है. बजट ने गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों को खुशहाल बनाने अथवा मुख्य धारा में लाने के लिए कई अन्य उपायों की भी घोषणा की है. जिसमें गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों के लिए यह बड़ी राहत देने वाली बात साबित होगी. गर्भवती महिलाओं के प्रसव बाद जच्चा और बच्चा के ऊपर होने वाले खर्च सरकार खुद पर ले रही हैं . इससे गरीबी रेखा से नीचे रह रही मातृशक्ति को एक बड़ी राहत मिलेगी.
अबुआ आवास के लिए बजट में 4821 करोड़ का प्रावधान किया गया है. पीएम फसल बीमा के लिए 50 करोड़ का बजट में प्रावधान किया गया है. राज्य में चार डिग्री और चार महिला कॉलेज खोले जाएंगे. यह घोषणा यहां के छात्र-छात्राओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि के समान है. इस साल कृषि विभाग के पास कुल बजट 4606 करोड़ रुपए का है. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत झारखंड प्रांत में बीते नौ वर्षों के दौरान काफ़ी संख्या में मकान बने हैं. इसके बावजूद झारखंड में गरीबी रेखा की नीचे जीवन बसर कर रहे लोगों के पास छत की बहुत कमी है. आज भी इस प्रांत के करोड़ों लोग मिट्टी और खपरैल के मकान में जीवन गुजारने को मजबूर हैं. वहीं बरसात के दिनों में इन सबों का जीवन और भी कष्ट कारक बन जाता है. ऐसे में अबुआ आवास के लिए बजट में 4831 करोड़ रुपया का प्रावधान किया जाना निश्चित रूप से गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है.
मुख्यमंत्री पशुधन के लिए बजट में दो सौ करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है. भवन निर्माण के लिए 203 करोड़ रुपए से अधिक का प्रस्ताव किया गया है . गंगा की सहायक नदी दामोदर को नमामि गंगे योजना में शामिल किया गया है. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 310 करोड़ 11 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है. रामगढ़ में एसटीपी का निर्माण शुरू हो गया है. जिसे मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. स्थापना मद में 38 प्रतिशत राशि खर्च की जाएगी . दुमका और बोकारो एयरपोर्ट से जल्द हवाई सेवा शुरू की जाएगी. इसके लिए बजट में 112 करोड़ 93 लाख का प्रस्ताव किया गया है. राज्य में पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए नई औद्योगिक नीति बनी है. औद्यौगिक विकास के लिए 435 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है.
वित्त मंत्री डॉ. उरांव का यह पांचवां बजट बीते चार बजटों की तुलना में सबसे शानदार बजट कहा जा सकता है. यह बजट समाज के सभी वर्ग के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों के लिए अबुआ आवास, बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा सहित बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने पर फोकस किया गया है. आंगनबाड़ी योजना से जुड़े लोगों के हितों को भी ध्यान में रखा गया है. किसानों के हित को भी ध्यान में रखा गया है. झारखंड के कई जिलों को बेहतर बनाने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है. नई औद्योगिक नीति बनाकर राज्य सरकार राज्य में औद्योगिक विकास की गति को तेज करना चाहती है. इसके साथ ही सरकार बुनियादी सुविधाओं को भी ध्यान में रखी है. किसानों और मजदूरों की हितों को भी ध्यान रखा गया है . अर्थात इस बजट से समाज के सभी वर्गों के लोगों को राहत मिलेगी.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.