Ranchi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंदरी में सीसीएल की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं “टोरी– शिवपुर रेल-लाइन तिहरीकरण” व “नॉर्थ उरीमारी कोल हैंडलिंग प्लांट’’ का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया. भारत सरकार के ‘पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान’ के सिद्धांत को कोयला क्षेत्र में समाहित करते हुए कोयला प्रेषण मे गति एवं पर्यावरण अनुकूल परिवहन को बेहतर बनाने हेतु इन परियोजनाओं की शुरुआत की गई है.
प्रथम परियोजना : टोरी – शिवपुर रेल-थर्ड रेललाइन का कार्य पूर्व-मध्य रेलवे द्वारा किया गया. यह एक रेलवे समर्पित कॉरिडोर है जिसका उपयोग कोयले के प्रेषण के लिए किया जाना है. इस परियोजना की कुल लागत 894.00 करोड़ है. इसकी लंबाई 44.37 किलोमीटर है एवं जिसमें कुल 6 मध्यवर्ती रेलवे स्टेशन/ साइडिंग है – बिराटोली, कुसुमाही, बालूमाथ, बुकरू, मनातू एवं फूल्बसिया. टोरी-शिवपुर रेल-लाइन का दोहरीकरण पूर्व में मार्च, 2021 में किया गया था. यह रेलवे कॉरिडोर न केवल सीसीएल की भिन्न परियोजनाओं की आवश्यकताओं, अपितु भारत सरकार द्वारा आवंटित सरकारी एवं प्राइवेट माइंस की प्रेषण आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा. इस परियोजना के शुरू हो जाने से वर्तमान मे प्रेषण क्षमता 40-45 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़कर 100 मिलियन टन प्रति वर्ष हो जाएगी. इस रेल-लाइन के आने से कोयला के परिवहन में गति आएगी एवं परिवहन द्वारा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव में भी कमी आएगी.
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द्वितीय परियोजना : कोयले को खदान से रेलवे साइडिंग तक के परिवहन से संबंधित है. फर्स्ट माइल रेलवे कनेक्टिविटी के अंतर्गत नॉर्थ उरीमारी कोल हैंडलिंग प्लांट (CHP), उरीमारी की खुली खदान से निकटतम रेलवे सर्किट तक कोयले की निकासी की आधुनिक व्यवस्था है. जहां से कोयले को देश भर के ताप विद्युत संयंत्रों (Power Plants) तथा अन्य उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जायेगा. वर्तमान में इन खदानों से कोयला टीपर द्वारा सड़क मार्ग से नॉर्थ उरीमारी एवं सौंदा रेलवे साइडिंग तक लाया जाता है. यह कोल हैंडलिंग प्लांट एक क्लोज्ड-लूप एवं पूर्ण यंत्रीकृत प्रणाली है जो सड़क मार्ग से हो रहे परिवहन में अप्रत्याशित कमी करके कोयले के परिवहन में तेजी लाएगी. इस संयंत्र में रिसीविंग हॉपर, क्रशर, 20,000 टन क्षमता के कोयला भंडारण बंकर और कन्वेयर बेल्ट सम्मिलित हैं. जिनकी सहायता से कोयले को 4000 टन भंडारण क्षमता के साइलो बंकर द्वारा रेलवे वैगन में स्थानांतरित किया जाएगा. 7.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष क्षमता की इस परियोजना की कुल लागत रु. 292 करोड़ है. इसके शुरू होने से डीजल की खपत में भी कमी आएगी साथ ही साथ धूल और वाहन जनित कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कमी आएगी.
इस अवसर पर परियोजना के उद्घाटन स्थल पर सीसीएल सीएमडी डॉ बी वीरा रेड्डी, निदेशक (बीडी) सीआईएल देवाशीष नंदा, परियोजना सलाहकार कोयला मंत्रालय आनंदजी प्रसाद, निदेशक (वित्त) पवन कुमार मिश्रा, निदेशक (कार्मिक) हर्ष नाथ मिश्र, निदेशक तक. (यो./परि.) बी साईराम, निदेशक (तक.) हरीश दुहान उपस्थित थे.