Chandwa : प्रखंड क्षेत्र के अलौदिया पंचायत का नाम अलौदिया गांव के नाम पर ही रखा गया है. गांव में साव, नाई, तुरी, उरांव, भुईयां, लोहरा जाति के साथ-साथ मुसलमान भी रहते हैं. इनका मुख्य आजीविका का मुख्य आधार खेती और व्यापार है. गांव में सुविधाओं और स्वच्छता की ऐसी स्थिति थी कि साल 2004-2005 में इसे निर्मल ग्राम घोषित किया गया था. गांव के ही राजेश साहू ने जो उस समय सरपंच हुआ करते थे, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से स्वच्छता को लेकर निर्मल ग्राम पुरस्कार प्राप्त किया था. लेकिन आज यदि इस गांव के हालात पर नजर डालें तो समस्याओं की भरमार है.
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स्वयंसेवकों का था अहम योगदान
गांव को निर्मल ग्राम बनाने में साक्षरता अभियान में लगे स्वयंसेवकों का अहम योगदान रहा था. इन लोगों ने अलौदिया गांव का चयन कर ग्रामीणों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया. वह स्वर्णिम दौर था जब प्लास्टिक और टीन के शेड से शौचालय घिरा हुआ था. दरवाजे पर पर्दा टंगा हुआ शौचालय सभी के घरों में देखे जा सकते थे. लेकिन वर्तमान में गांव की स्थिति पहले जैसी नहीं रही.
वर्तमान में सभी के पास नहीं शौचालय
गांव में स्वच्छ भारत मिशन के द्वारा बनवाए गए शौचालय भी सभी के यहां नहीं है. पर गांव को ऑडिट रिपोर्ट में शौच मुक्त गांव बताया जा रहा है. अलौदिया गांव में ही अवस्थित है शुक्रवारीय साप्ताहिक बाजार, जहां से सरकार सालाना लाखों का राजस्व मिलता है. लेकिन दुकानदारों और व्यापारियों के लिए सुविधाएं मौजूद नहीं है. धूप और बरसात से बचने के लिए शेड की व्यवस्था नहीं है. और ना ही बाजार आए खरीददारों के आवागमन के लिए अच्छी सड़क है.
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बाजारटांड में कूड़े का अंबार
बाजारटांड़ को देखा जाए तो यहां कूड़े का अंबार लगा रहता है, जिससे क्षेत्र में तरह-तरह की बीमारियां फैलने की संभावना बनी रहती है. पंचायत सचिवालय की दीवार के बगल में कूड़े की भरमार है. यहां से जनप्रतिनिधि के साथ-साथ प्रखंड के पदाधिकारीगण बराबर आया- जाया करते हैं, लेकिन इस ओर उनका ध्यान नहीं है. गांव में कूड़े के अंबार के साथ ही समस्याओं की भी भरमार है.