पूरे मामले को बताया ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट का उल्लंघन. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में 9 सदस्यीय शिष्टमंडल राज्यपाल से मिला. कहा- पूरे मामले में सीएम की भूमिका या निर्देश की संभावना से इनकार नहीं, सीएम अपनी जिम्मेवारी से बच नहीं सकते.
Ranchi: राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और सीएम के प्रधान सचिव रहे राजीव अरुण एक्का का कृत्य ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट की धारा 3 और सेंट्रल सिविल सर्विस के नियम 14 का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है. यह आपराधिक दुष्कृत्य प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 7 से 13 का भी उल्लंघन है. इसलिए इस मामले में केवल ट्रांसफर कोई सजा नहीं हो सकती है. इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. यह बातें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कही. उन्होंने यह बातें राज्यपाल से मिलने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही. राज्यपाल से मिलने वालों में विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी, राज्यसभा सांसद समीर उरांव, आदित्य साहू, विधायक सीपी सिंह, समरी लाल, नवीन जायसवाल, संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, दिनेशानंद गोस्वामी आदि शामिल थे.
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मनी लाउंड्रिंग के मामले से इनकार नहीं, राज्य और देश की सुरक्षा से भी जुड़ा है मामला
दीपक प्रकाश ने इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुप्पी गंभीर बताया. राजीव अरुण एक्का चूंकि सीएम के प्रधान सचिव भी रहे हैं. इसलिए मुख्यमंत्री इस जिम्मेवारी से उन्हें केवल ट्रांसफर करके बच नहीं सकते हैं. यह भ्रष्टाचार की प्रकाष्ठा है. प्रकाश ने बताया कि आज हमलोग राज्यपाल से मिले. उन्हें एक मांग पत्र के साथ-साथ वीडियो क्लिप की पेन ड्राइव सौंपे. राज्यपाल को हमने बताया कि वीडियो क्लीप झारखंड सरकार में दलाली एवं बिचौलियागिरी एक प्रमाण है. एक प्रमुख व्यक्ति विशाल चौधरी के रांची शहर में अरगोड़ा के पास स्थित प्राइवेट कार्यालय है. जहां बैठकर सरकारी कागजातों, फाइलों पर दस्तखत करते हुए राजीव अरुण एक्का नजर आ रहे हैं. वीडियो में जो महिला बगल में खड़ी होकर फाइल साइन करवा रही है, वो कोई सरकारी कर्मचारी नहीं, बल्कि विशाल चौधरी की प्राइवेट कर्मचारी बतायी जा रही है. बगल से जिसकी आवाज सुनाई दे रही है वो विशाल चौधरी की आवाज बतायी गयी है. जो अपनी महिला कर्मचारी से किसी से पैसे आने नहीं आने के बारे में पूछ रहे हैं.
महिला कर्मचारी के ना कहने पर संभवतः विशाल किसी को फोन लगाकर उसी पैसे का तगादा कर रहे हैं. उन्होंने राज्यपाल को बताया कि राजीव अरुण एक्का के प्रभार वाले सारे विभागों की वैसी महत्वपूर्ण, मालदार एवं संवेदनशील फाइलें सचिवालय से सीधे विशाल चौधरी के प्राइवेट कार्यालय में पहुंचा दी जाती थी. जिनमें मोटी रकम वसूली करने का स्कोप होता था. फिर विशाल फोन कर लाभान्वितों से पैसे वसूलता था. तब एक्का साहब विशाल के निजी कार्यालय में जाकर पैसे वसूले जा चुके संचिकाओं पर हस्ताक्षर करते थे. विषयवस्तु की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव जो गृह, कारा जैसे संवेदनशील विभाग के भी प्रभार में हो, का यह गलत कार्य राज्य और देश की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है. ऐसे में आशंका है कि एक्का ने अपने इस गैर कानूनी काम से इस दलाल के मार्फत बड़े पैमाने पर पैसे की वसूली कर मनी लॉड्रिंग की है.
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सीएम की जानकारी के बिना दलाल के कार्यालय में संचिका कैसे पहुंच रही है, जांच का विषय है, राज्यपाल को बताया गया कि गृह विभाग सीधे मुख्यमंत्री के अधीन है. ये मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भी थे. ऐसे में मुख्यमंत्री के यहां निर्णय के लिए जाने वाली तमाम संचिकाएं भी इस अधिकारी के माध्यम से कल तक मुख्यमंत्री के पास जाती थी. ऐसी सचिकाएं दलाल के प्राइवेट कार्यालय बिना मुख्यमंत्री की जानकारी के पहुंचा रहा हो, ये कैसे संभव है ? निश्चित रूप से विशाल चौधरी के मार्फत वसूली का हिस्सा मुख्यमंत्री जी तक भी पहुंच रहा होगा, जो गहन जांच का विषय है.
राजीव अरुण एक्का पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए सीबीआई जांच हो
राज्यपाल को बताया गया कि मुख्यमंत्री ने पद और गोपनीयता की जो शपथ ली है, उनके प्रधान सचिव का यह असंवैधानिक कृत्य उस गोपनीयता की शपथ का भी उल्लंघन है. ऐसे में तो गृह विभाग की गोपनीय एवं बेहद संवेदनशील सूचनाएं भी उग्रवादियों/आतंकवादियों एवं अपराधियों तक दलाल के मार्फत पहुंचने की संभावना से कैसे इंकार किया जा सकता है. इसके पूर्व ईडी की कार्रवाई के क्रम में एक और दलाल प्रेम प्रकाश के आवास से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे जवानों के एके-47 जैसे महत्वपूर्ण हथियार बरामद हुए हैं. जिसपर जांच की कार्रवाई चल रही है. यह प्रकरण राज्य की सत्ता के शीर्ष में व्याप्त सिर्फ भ्रष्टाचार तक ही सीमित नहीं बल्कि राज्य और देश की सुरक्षा से जुडा गंभीर विषय है.