- मंत्री ने जनसुनवाई में आने की जिला प्रशासन को दी थी सहमति
- इसके बाद ही जिला प्रशासन ने आयोजित किया था जनसुनवाई कार्यक्रम
- मंत्री का कार्यक्रम रदद होने की सूचना के बाद चाईबासा डीसी भी नहीं पहुंचे
- कागजात की कमी की वजह से कई लोग बरसों से पेंशन की आस में भटक रहे
प्रवीण कुमार
Ranchi: चाईबासा के तांबो में मंगलवार को जनसुनवाई का आयोजन किया गया था. जिसमें 1364 से अधिक मामले आये. 18 प्रखंडों से सैंकड़ों बुज़ुर्ग, विधवा और दिव्यांग जनसुनवाई में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे थे. इस उम्मीद से कि जनसुनवाई में गुहार लगाने के बाद पेंशन शुरू हो जाएगा. मगर उनलोगों को जनसुनवाई में भी न्याय नहीं मिला. क्योंकि जनसुनवाई में अपने आने की सहमति प्रदान करने के बाद सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी नहीं पहुंची. मंत्री का कार्यक्रम रद्द हो गया तो डीसी अरवा राजकमर ने भी अपना प्रोग्राम रद्द कर दिया.
दूर-दराज के गांवों से जनसुनवाई में पहुंचे थे जरूरतमंद ग्रामीण
जनसुनवाई में जिला प्रशासन के कुछ कर्मचारी थे जो आने वाले लोगों से आवेदन लेकर बाद में आने की बात कह रहे थे. जबकि जनसुनवाई में कई लोग 80 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे थे. सारंडा, थलकोबाद, चिडियां, गुआ, मनोहरपुर, गोयलकेरा, बंदगांव, सोनुआ जैसे दूरदराज से सैंकड़ों बुज़ुर्ग, विधवा और दिव्यांग आए थे. जो पेंशन के लिए प्रखंड से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक का चक्कर काट कर परेशान हो गए थे.
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जनसुनवाई में क्यों नहीं आई जोबा मांझी? लगातार न्यूज को बताया :
जोबा मांझी ने बताया कि बेटे के पेट्रोल पंप उद्घाटन कार्यक्रम में चली गई थीं. इसलिए जनसुनवाई कार्यक्रम में नहीं पहुंच पायीं. उन्होंने कहा कि पेट्रोल पंप उद्घाटन कार्यक्रम मेरे बेटे का था इसलिए जनसुनवाई में नहीं गईं. उन्होंने ने कहा कि कार्यक्रम में आने की सहमति जरूर दी थी पर समय पर जिला प्रशासन को अपने निजी कार्यक्रम के बारे में बता दिया था.
केस स्टडी
90 वर्षीय बुधनी बोदरा को नही मिला पेंशन, सफाई में क्या कहते हैं अधिकारी
जनसुनवाई में मौजूद कई लोगों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कई बार पेंशन के लिए आवेदन किया.अभी तक उनकी पेंशन की स्वीकृति नहीं हुई है.अधिकांश को तो पेंशन आवेदन की रसीद भी नहीं मिलती. ऐसी एक महिला हैं पोड़ाहाट (सुनुआ) की 90-वर्षीय बुधनी बोदरा. वे कहती हैं कि बार-बार प्रखंड कार्यालय का चक्कर काटने के बाद भी उन्हें पेंशन स्वीकृति की कोई जानकारी नहीं मिली.जब प्रशासन से इस बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि आजकल ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा रहा है.जिससे रसीद न खोये.
केस स्टडी
दिव्यांग पेंशन के लिए 10 वर्षीय सूरज परेशान
जनसुनवाई में आये लोगों ने पेंशन का आवेदन करने में आ रही समस्याओं के बारे में बताया. हालांकि कमला कुई के पति की 20 साल पहले मृतु हो गई थी, उनकी विधवा पेंशन अभी तक स्वीकृत नहीं हुई है. चूंकि अभी तक उनके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है. जिन लोगों की मृत्यु कुछ महीने पूर्व हुई है, उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए शपथ पत्र मांगा जा रहा है. दिव्यांग, विधवा,वृद्वा महिलाएं जिला न्यायालय से शपथ पत्र बनवाने के लिए बिचौलियों को पैसा देने के लिए सक्षम नहीं हैं. दिव्यांगों को अपनी विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने (जो विकलांगता पेंशन के लिए अनिवार्य है) के लिए सदर अस्पताल तक जाना पड़ता है. शारीरिक रूप से काफी दिव्यांग होने के बावजूद भी 10 वर्षीय सूरज पेंशन से वंचित है.
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सामाजिक कार्यकर्ताओं ने क्या कहा
जूरी के सदस्य जेम्स हेरेंज ने कहा कि पेंशन लोगों का अधिकार है और ने कि सरकार की दुआ. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता बलराम ने कहा कि अधिकारियों को इस बात का प्रचार करना चाहिए कि DBT भुगतान के लिए आधार अनिवार्य नहीं है. ज्यां द्रेज़ ने मामलों के निपटारे के लिए अधिकारियों से तारीख मांगी. अशर्फी नन्द प्रसाद ने सुझाव दिया कि मामलों के निपटारे के लिए एक सहायता केंद्र खोला जा सकता है.
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