Chaibasa (Sukesh kumar) : कोल्हान विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित डिग्री कॉलेजों में अभी तक इंटरमीडिएट का नामांकन शुरू नहीं हुआ. इसके कारण विद्यार्थियों चिंतित हैं. कोल्हान के ग्रामीण क्षेत्रों से गरीब बच्चे डिग्री कॉलेज में सरकारी खर्च से पढ़ाई करते हैं, बंद हो जाने से स्थिति बद से बदतर हो जाएगी. महाविद्यालय में बंद कर दिया जाने 60 हजार से अधिक छात्रों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा. यूजीसी गाइडलाइन और नई शिक्षा नीति 2020 के तहत राज्य के विश्वविद्यालय अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद करने की रणनीति तैयार की जा रही है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के अध्यक्ष के मुताबिक यह मामला शिक्षा विभाग की है. कॉलेजों के प्राचार्य का कहना है कि शिक्षा विभाग की तरफ से नामांकन नहीं लेने का निर्देश दिया गया है.
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नामांकन को लेकर विश्वविद्यालय का हस्तक्षेप नहीं
इधर, कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ पीके पाणी ने कहा कि नामांकन लेने संबंधित किसी तरह का नियम कोल्हान विश्वविद्यालय की ओर से नहीं बनाया गया है. नामांकन की पूरी व्यवस्था जैक द्वारा किया जाता है. इसमें कोल्हान विश्वविद्यालय का हस्तक्षेप नहीं है. प्रत्येक डिग्री कॉलेजों में 2 से 3 हज़ार विद्यार्थियों का नामांकन प्रत्येक साल एक कॉलेज में होता है, लगभग 16 से अधिक डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई होती है.
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2000 से अधिक शिक्षक व कर्मी सड़क पर आ जाएंगे : सनातन
कोल्हान विश्वविद्यालय के छात्र प्रतिनिधि सनातन पिंगुवा ने कहा अगर महाविद्यालय में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद होती है तो छात्रों के भविष्य साथ साथ पूरे राज्य में 2000 से अधिक प्लस टू में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षिकाए और कर्मचारी सड़क पर आ जाएंगे. इसका जिम्मेदारी कौन लेगा. विद्यार्थी अपने माता पिता के साथ कॉलेज जा कर नामांकन की सूचना लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इंटरमीडिएट हमारे अंडर में नहीं आता है. ऐसे बोल कर वापस भेज दिया जा रहा है. बच्चों का कैरियर को लेकर अभिभावक बहुत परेशान हैं.
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अगर कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद होती है तो इंटर में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी कहां पढ़ने जाएंगे. कोल्हान में गरीब बच्चों के लिए टाटा कॉलेज, महिला कॉलेज, कॉमर्स कॉलेज एक ही मात्रा सहारा है. अगर इन कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई को बंद किया जाएगा तो कोल्हान के बच्चे पढ़ने कहां जाएंगे. अगर इंटरमीडिएट की पढ़ाई महाविद्यालय में बंद की जाती है तो जोरदार विरोध प्रदर्शन सरकार के खिलाफ में होगा. इसकी जिम्मेदार खुद सरकार होगी.