Chaibasa (Ramendra Kumar Sinha) : अनियमित रूप से वर्षा होने के कारण पश्चिमी सिंहभूम जिले में धान की फसलों की स्थिति काफी गंभीर हो गई है. अभी तक मात्र 15 प्रतिशत धान की रोपाई का काम किया गया है. वह भी निचले भूमि में जबकि मध्यम और ऊंचाई वाली भूमि में कुछ ज्यादा रोपाई नहीं कि जा सकी है. इस कमी का एक मात्र कारण फसल के लगाने के समय प्रर्याप्त मात्रा में वर्षा का नही होना है. हलांकि छीटा वाले धान के खेतो में फसल तो निकल गई है पर पानी की कमी के कारण पीले पड़ने लगे है. हलांकि दुर से देखने में खेतो में हरियाली नजर आती है पर वास्तविकता यह है कि अभी इन फसलों को पानी की जरूरत जो इन्हें अभी तक नही मिल पाया है.
इसे भी पढ़ें : बंदगांव : विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम का हुआ समापन, मेधावी छात्र हुए सम्मानित
1लाख 86 हजार हेक्टेयर भूमि पर होती धान की खेती
पश्चिमी सिंहभूम जिला में 1लाख 86 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती निर्धारित है. जिसमें से 1 लाख 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर छीटा से तथा शेष भूमि पर रोपनी की जाती है. किसानों ने पहले हुई हल्की वर्षा से खेतो में धान तो छीट दिया पर पौधे निकल कर बड़े हो जाने के बाद यह पीले होने शुरू हो गये है. जबकि रोपनी का काम अभी तक लगभग 5 सौ हेक्टेयर भूमि में ही किया जा सका है. वह भी निचली तथा मध्यम भूमि वाले जमीन पर जिनकी रकबा जिले में कम है.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर: शादी का झांसा देकर डेढ़ माह लीव इन में रहा, मुकरने पर मामला दर्ज
उपरी भूमि पर रोपनी वाले खेत ज्यादा है पर यहां पानी के नहीं होने के कारण रोपनी का काम अब तक पूरा नही हो पाया है. जिला कृषि पदाधिकारी काली पद महतो ने बताया कि पानी की कमी के कारण जिला में धान की खेती की स्थिति गंभीर हो गई है. विभागीय संयुक्त सचिव ने इस स्थिति का स्वयं निरीक्षण किया हैऔर सारी रिर्पोट विभाग को प्राप्त हो गई है.