Chakulia: “नदी किनारे गांव फिर भी प्यासे” यह कहावत चाकुलिया नगर पंचायत के वार्ड नंबर 10 में बसी बीड़ी बस्ती पर चरितार्थ हो रही हैं. आप कहेंगे कैसे? तो इसका जवाब होगा ऐसे. नगर पंचायत के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से यह कहावत चरितार्थ हुई है.
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आधा किलोमीटर दूर से ढोकर लाना पड़ता है पानी
लगभग 17 करोड़ की लागत से नगर पंचायत क्षेत्र में स्थापित जलापूर्ति योजना से जलापूर्ति के लिये लाखों की लागत से निर्मित विशाल जल मीनार (पानी टंकी) और 22 लाख से सामुदायिक शौचालय से सटी है यह बीड़ी बस्ती. मगर विडंबना देखिए कि बस्ती के लोग आधा किलोमीटर दूर स्थित जल एवं स्वच्छता विभाग के पंप हाउस के पास सड़क के किनारे लगे नल से पेयजल ढोकर लाते हैं. महिला और पुरुषों को खुले में नहाने के लिये भी यही आना पड़ता है.
पुरुष और महिलाओं को खुले में जाना पड़ता है शौच
बस्ती के पास बना सामुदायिक शौचालय अगर चालू रहता तो बस्ती के पुरुष और महिलाओं को खुले में शौच जाना नहीं पड़ता. महिलाओं को नहाने के लिये पानी नसीब हो जाता. इस बस्ती के गरीब पहले रेल लाइन के किनारे रेलवे की जमीन पर झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहते थे. रेलवे ने अतिक्रमण हटाया तो करीब 40 परिवारों को वार्ड नंबर 10 स्थित बिजली सब स्टेशन के पास सरकारी जमीन पर बसाया गया. परंतु लगभग एक साल बीत जाने के बाद भी इनके लिये पानी की व्यवस्था नहीं की गई.
शीघ्र जलापूर्ति शुरू हो जाएगी, सामुदायिक शौचालय भी खोला जाएगा: पार्षद
बस्ती निवासी दशमी सुंडी, सुनील कश्यप,जेमा बांद्रा, सुशीला सबर, लक्ष्मी कश्यप, लखन दास, डेब्रु मुंडा, कुनू मुंडा, बंगाली सुंडी,मदन मुंडा,बडकू सुंडी, प्रतिमा बांद्रा,गीता बांद्रा,सोना मुंडा समेत अन्य लोगों ने कहा कि पानी के लिए बहुत परेशानी झेलने पड़ रही है. वार्ड नंबर 10 के पार्षद देवानंद सिंह ने कहा कि बस्ती में पानी के लिये तीन कनेक्शन दिया गया है. फिलहाल जलापूर्ति नहीं हो रही है. परंतु शीघ्र ही जलापूर्ति शुरू हो जाएगी. उन्होंने कहा कि सामुदायिक शौचालय भी बस्ती वासियों के लिये खोल दिया जाएगा.
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