Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में चैत्र नवरात्र पर मनाए जाने वाले बासंती दुर्गा पूजा को लेकर तैयारी शुरू हो गई है. पूजा आयोजन समिति की ओर से मंदिरों को सजाने-संवारने का काम जोर-शोर से किया जा रहा है. मंदिरों का रंग-रोगन कर उसे सुंदर और आकर्षक रूप दिया जा रहा है. इसके साथ ही मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में जुटे गए है. चैत्र नवरात्रि को लेकर चांडिल प्रखंड के खूंटी में दुर्गा मंदिर को सजाने-संवारने का काम किया जा रहा है. मंदिर की सिढ़ियों के अलावा अन्य भागों को दुरुस्त किया जा रहा है. वहीं मंदिर में देवी की प्रतिमा बनाने का काम भी जोरों पर है. पश्चिम बंगाल के मूर्तिकार प्रतिमा बना रहे हैं. यहां चैत्र नवरात्रि के छठे दिन महाषष्ठी से देवी की पूजा-अर्चना शुरू होगी.
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मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से होगी पूजा
इस वर्ष चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 30 मार्च को होगा. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्र के पहले दिन 22 मार्च को देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. वहीं दूसरे दिन 23 मार्च को मां ब्रह्मचारिणी, 24 मार्च को मां चंद्रघंटा, 25 मार्च को मां कुष्मांडा, 26 मार्च को मां स्कंदमाता, 27 मार्च को मां कात्यानी, 28 मार्च को मां कालरात्रि, 29 मार्च को मां महागौरी और 30 मार्च को मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाएगी. चैत्र नवरात्रि का पहला दिन हिंदू नववर्ष का आगमन माना जाता है. इसे पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
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अनुमंडल क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है पूजा
चांडिल अनुमंडल में धूमधाम के साथ बासंती दुर्गा पूजा मनाया जाता है. ईचागढ़ प्रखंड के ईचागढ़ व सोड़ो में, नीमडीह प्रखंड के जांता में और चांडिल प्रखंड के खूंटी में हर्षोल्लाय के साथ बासंती दुर्गोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर पूरी तरह से दुर्गा पूजा की तरह ही पूजा की जाती है. चार दिनों तक होने वाली पूजा को लेकर क्षेत्र में उल्लास का माहौल है. लोगों में इसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. स्थानीय लोगों का मानना है कि बासंती पूजा ही असल में दुर्गा पूजा है. भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले मां दुर्गा की इसी रूप में पूजा की थी. इसलिए इसका चलन आदिकाल से है.
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