Chandil (Dilip Kumar) : नागों की देवी और भगवान शिव की मानस पुत्री देवी मनसा की पूजा चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में धूमधाम के साथ की गई. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पारंपरिक विधि विधान के साथ देवी की पूजा अर्चना किए. मनसा पूजा चांडिल अनुमंडल क्षेत्र की प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दौरान मनसा मंदिरों में देवी की आकर्षक प्रतिमा स्थापित की गई थी. मान्यता है कि शिव पुत्री मां मनसा सांपों की देवी हैं. मां मनसा की पूजा से लोग बिच्छू व सर्पदंश से सुरक्षित रह सकते हैं. पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालु बकरा, बतख और मुर्गे की बलि दिए और देवी से आशीष मांगा. चांडिल के कांदरबेड़ा स्थित माहली टोला में भी धूमधाम के साथ मनसा पूजा का आयोजन किया गया. पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में लोग मनसा मंदिर पहुंचे थे. श्रद्धालुओं का कहना है कि सच्चे मन से देवी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती हैं. देवी मनसा की पूजा आमतौर पर बरसात के दौरान की जाती है, क्योंकि सांप उस दौरान अधिक सक्रिय होते हैं. बंगला व ओड़िया पंचाग के अनुसार श्रावण संक्राति, भादो संक्राति और आश्विन संक्राति के दिन मां मनसा की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार देवी मनसा की पूजन से सांप व बिच्छू से लोग सुरक्षित रहते है और श्वास संबंधित बीमारी, चिकन पॉक्स आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है.
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मनसा मंगल देखने उमड़े लोग
अनुमंडल क्षेत्र में मनसा पूजा के इस अवसर पर मनसा मंगल पाठ के अलावा जांत और झापान का आयोजन किया गया. जांत में मां मनसा देवी के गुणगान पर आधारित भजन-कीर्तन किया जाता है. इसमें देवी के भक्तों की टोली वाद्य यंत्रों के साथ उनकी कहानी पर आधारित गीत गाते हैं. वहीं झापान में देवी के भक्त जहरीले सांपों के हैरतअंगेज खेलों का प्रदर्शन किया जाता है. कांदरबेड़ा के माहली टोला में मनसा पूजा के उपलक्ष्य पर मनसा मंगल का मंचन किया गया. अपने बेहतरीन जीवंत मंचन से स्थानीय कलाकारों ने दर्शकों की खब वाह वाही बटोरी. अनुष्ठान के आयोजक गोपाल गोराई ने बताया कि मनसा पूजा करने से गांव-घर में शांति व समृद्धि बना रहता है.