Chandil (Dilip Kumar) : इस सीजन में मानसून की बारिश काफी कम होने के कारण चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के अधिकतर जलाशय, तालाब, नदी नाले सूख गए हैं. जिसके कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है. मौसमी बारिश नहीं होने से इसका सीधा असर जलाशयों पर दिखने लगा है. इस वर्ष वर्षा के अभाव में अधिकतर जलाशय, तालाब, नदी, नाले, कुआं आदि में जल संकट गहराता जा रहा है. चांडिल प्रखंड क्षेत्र में स्थित दो बड़े डैम सुवर्णरेखा और पालना डैम का जलस्तर काफी घट गया है. वहीं बारिश नहीं होने की वजह से खेतों में बोए गए धान का बिछड़ा मुरझाने लगा है. इससे किसानों में मायूसी छाई हुई है.
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रोज पांच प्वाइंट घट रहा पालना डैम का जलस्तर
सिंचाई के प्रमुख उद्देश्य से निर्मित चांडिल प्रखंड क्षेत्र स्थित पालना डैम का जलस्तर 218.65 मीटर पर पहुंच गया है. 227 मीटर अधिकतम क्षमता वाले डैम का बेड लेवल 213 मीटर है. पालना डैम के दोनों केनाल को दो-दो इंच खोला गया है, ताकि किसान खेतों की सिंचाई कर सकें. ऐसे में डैम का जलस्तर प्रतिदिन पांच प्वाइंट घटता जा रहा है. बारिश नहीं होने पर धान की रोपाई तक किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल जाएगा, लेकिन उसके बाद पानी की किल्लत होगी. वहीं चांडिल डैम का जलस्तर 176.90 मीटर पर पहुंच गया है. अब चाहकर भी चांडिल डैम से अतिरिक्त पानी की आपूर्ति नहीं की जा सकती है. आषाढ़ माह के गुजरने के बाद सावन माह में भी डैम का पानी रेडियल गेट के स्तर तक नहीं पहुंचा है.
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गलत साबित हो रहा मौसम विभाग का पूर्वानुमान
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में खरीब फसल मानसून पर ही निर्भर है. मानसून के इंतजार में क्षेत्र के किसान खेती में पिछड़ते जा रहे हैं. बारिश नहीं होने से बुआई पर सीधा असर पड़ रहा है. जलाशयों में पानी स्टोरेज रहने पर खेती के दौरान जरूरत के अनुसार खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिल जाता है. वहीं दूसरी ओर मानसून की देरी से क्षेत्र में स्थित कुओं का जलस्तर भी नीचे चला जा रहा है. लोग अभी से चिंतित है, उन्हें इस वर्ष भी सुखाड़ पड़ने की चिंता सता रही है. किसानों का कहना है कि मौसम विभाग का मानसून की बारिश होने को लेकर किए जा रहे पूर्वानुमान गलत साबित हो रहे हैं.