Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल क्षेत्र में जमीन विवाद का खेल एक के बाद एक सामने आता जा रहा है. एक मामला थमता है तो दूसरा शुरू हो जाता है. जैसे-जैसे क्षेत्र का विकास हो रहा है वैसे-वैसे जमीन विवाद का मामला भी बढ़ता जा रहा है. इन मामलों के बीच गरीब बेबस किसान व आदिवासी पिसता जा रहा है. चांडिल अंचल के कपाली क्षेत्र में तो चांडिल डैम के विस्थापितों के लिए आवंटित पुनर्वास स्थल पर भी गैर विस्थापितों ने कब्जा जमा लिया है. वहीं अब टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित और जमशेदपुर से सटे क्षेत्र में गरीब, मजदूर व आदिवासियों की जमीन पर दबंगों की नजर है. बताया जाता है कि चांडिल क्षेत्र में गरीबों को बंदोबस्ती में दी गई जमीन पर भी व्यवसायिक प्रतिष्ठान संचालित किए जा रहे हैं.
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ग्राम प्रधान ने कहा उक्त जमीन आदिम जनजाति की
सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अंचल अंतर्गत आसनबनी में एक जमीन की मापी करने पहुंचे कर्मचारी और अमीन को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. ग्रामीणों के भारी विरोध के बाद अंचल के कर्मचारी और अमीन बैरंग लौट गए. जमीन मापी की जानकारी मिलने पर पारंपरिक ग्राम प्रधान भूषण पहाड़िया के नेतृत्व में ग्रामीणों ने आपत्ति जताई और जमीन मापी का विरोध किया. इस संबंध में भूषण पहाड़िया ने बताया कि चांडिल अंचल के आसनबनी मौजा में खाता संख्या 447, प्लॉट संख्या 2589 में रकवा 3.13 एकड़ जमीन उनके पूर्वज पेंडरी पहाड़िया के नाम दर्ज है, जो सीएनटी एक्ट के दायरे में आता हैं. उन्होंने बताया कि उक्त जमीन के मामले में न्यायालय ने पेंडरी पहाड़िया के पक्ष में फैसला सुनाया है. इसके बावजूद ज्ञान तनेजा नाम के व्यक्ति द्वारा गलत कागजात प्रस्तुत कर अंचलाधिकारी को गुमराह किया जा रहा है और उक्त जमीन को हड़पने का प्रयास कर रहा है.
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ग्रामसभा को बगैर सूचना दिए जमीन की मापी करना गलत
चांडिल अंचल के आसनबनी में एक विवादित भूखंड की मापी करने अंचल के कर्मचारी और अमीन पहुंचे थे. इसकी जानकारी मिलने के बाद ग्रामीणों ने जमीन मापी का विरोध किया. गांव के पारंपरिक ग्राम प्रधान सह लाया भूषण पहाड़िया के नेतृत्व में ग्रामीणों के विरोध के बाद जमीन की मापी नहीं हुई. इस संबंध में तत्काल आसनबनी के ग्रामीणों ने चांडिल अंचलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा और उक्त जमीन के मापी पर असहमति जताया है. ग्रामीणों ने पत्र में कहा कि ग्रामसभा को बगैर सूचना दिए जमीन की मापी करना गलत है, यह पांचवीं अनुसूची कानून का उल्लंघन है.