Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल प्रखंड के चिलगु पुनर्वास स्थल में आयोजित तीन दिवसीय सनातन धर्म सम्मेलन एवं श्रीमद्भागवत कथा पाठ का रविवार को समापन हुआ. शुक्रवार से शुरू धर्मानुष्ठान में दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और भागवत कथा सुनी. दूर-दराज से पहुंचे लोगों ने धर्म सम्मेलन में शामिल होकर अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए संकल्प लिया. पश्चिम बंगाल के नदिया, नवद्वीप श्रीधाम से आए कथावाचक गिरिधारी शास्त्री महाराज ने व्यासपीठ पर आसीन होकर भागवत कथा सुनाई. भागवत कथा का परिचय और उसके महत्व पर उन्होंने कथा प्रारंभ की थी.
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सनातन धर्म में है प्रमाणिकता
व्यासपीठ पर आसीन कथावाचक गिरिधारी शास्त्री महाराज ने कहा कि पूरे विश्व में एकमात्र सनातन धर्म में ही प्रमाणिकता है. उन्होंने मानव जीवन में सनातन धर्म की भूमिका को विस्तारपूर्वक बताया. इसके साथ ही उन्होंने भागवत कथा का जीवन में क्या महत्व है, इस पर भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्राणियों के बीच सद्भावना एवं दया का भाव भागवत कथा से किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है, यह भी सरल और प्रभावी ढंग से बताया. उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने से मन और आत्मा शुद्ध होती है. मन में अच्छे विचार आते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है.
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संस्कृति और सभ्यता बचाने की कोशिश
धर्मानुष्ठान के आयोजक कृष्ण गोपाल महापात्र एवं ननी गोपाल गोप ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन से समाज को फिर से प्राचीन भारतीय संस्कृति और सभ्यता की ओर वापस लौटाने का प्रयास किया जा रहा है. वर्तमान समय में हमारी संस्कृति और सभ्यता विलुप्त होने लगी हैं, युवाओं को हमारे धर्म, संस्कृति की जानकारी नहीं है. समाज अपने प्राचीन सभ्यता और परंपरा को भूलकर पश्चिमी सभ्यता की ओर बढ़ रही है, इससे बचना होगा.