Chandil (Dilip Kumar) : कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी कहते हैं. इसी दिन चार माह के शयन के बाद भगवान विष्णु उठते हैं. देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु की शालीग्राम स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है. इसके साथ ही चार माह से बंद सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. भगवान विष्णु जब निंद्रा में होते हैं तब हिंदू धर्म में होने वाले तमाम तरह के शुभ कार्यों पर चार महीने की रोक लग जाती है. देवोत्थान एकादशी के दिन चातुर्मास व्रत समाप्त हो जाता है और सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, यज्ञ, नामकरण जैसे कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
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चांडिल में मनाया जाता है श्री श्याम जन्मोत्सव
देवोत्थान एकादशी के दिन ही प्रतिवर्ष चांडिल में श्री श्याम जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष भी देवोत्थान एकादशी के दिन शुक्रवार को चांडिल में 26वां श्री श्याम जन्मोत्सव का आयोजन किया गया है. इस दिन चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में तुलसी विवाह अनुष्ठान का आयोजन किया गया. लोग अपने-अपने घरों में भी तुलसी विवाह अनुष्ठान के साथ सत्यनारायण भगवान की कथा भी करवाया.
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14 दिसंबर तक विवाह के 10 मुहूर्त
पंडित समरेश बनर्जी ने बताया कि तुलसी विवाह के उपरांत सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस वर्ष 14 दिसंबर तक विवाह के 10 मुहूर्त हैं. देवोत्थान एकादशी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इसी कारण कई लोग विवाह मुहूर्त नहीं होने के बावजूद भी इस दिन विवाह करते हैं. पंडित समरेश बनर्जी ने बताया कि नवंबर में पांच, 25, 27 और 28 तारीख को विवाह का मुहूर्त है. वहीं, दिसंबर में दो, तीन, सात, आठ, नौ व 14 तारीख को विवाह का योग है. इसके बाद 16 दिसंबर से मकर संक्रांति तक खरमास में विवाह वर्जित है. मकर संक्रांति के बाद विवाह के ज्यादा शुभ मुहूर्त हैं. उन्होंने बताया कि इस वर्ष आठ नवंबर को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण का सूतक नौ घंटे से पहले मान्य होगा.