Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल प्रखंड क्षेत्र की जनता क्षेत्र में स्थापित स्पंज आयरन कंपनियों के प्रदूषण के कारण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं. इंसानों के साथ प्रदूषण के कारण जीव-जंतु भी त्रस्त है. क्षेत्र के नदी, तालाब, जुडिया का पानी दूषित होकर जहरीला होने लगा है. कंपनियों के चिमनी से निकलने वाला जहरीला धुंआ और धूल से पूरा क्षेत्र तबाह हो चुका है. कंपनियों से निकलने वाला जहरीला धुंआ और धूल से गांवों में जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. गांवों के खेतों में अब किसी भी तरह का फसल उगाना मुश्किल होने लगा है. सब्जियों के ऊपर काली धूल की मोटी परत जमा होने से फसल नष्ट हो रहे हैं. वहीं, कंपनियों के पास स्थित गांवों के तालाबों का पानी भी उपयोग लायक नहीं रहा. तालाब के पानी में काली धूल की मोटी परत बैठ गई हैं. क्षेत्र के पेड़-पौधों के पत्तें हरे रंग से काले रंग के हो गये है.
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स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल के साथ विकास का काम नहीं
क्षेत्र के लोगों की जान जोखिम में डालकर कंपनी प्रबंधन लााखों के व्यारे-नारे कर रहे हैं. वहीं इस क्षेत्र में कंपनी के सीएसआर फंड से अबतक ना स्वास्थ्य के लिए अस्पताल बनाया गया, शिक्षा के विकास के लिए ना स्कूल खोले गए, ना क्षेत्र के हुनरमंद खिलाड़ियों के खेल प्रतिभा के विकास के लिए कंपनी प्रबंधन की ओर से कोई काम किया गया और ना क्षेत्र के विकास में किसी प्रकार का योगदान देते हुए सड़क, नाली, पेयजल, बिजली आदि की सुविधा दी गई. सारे नियम कानूनों को ताक पर रखते हुए चांडिल क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियां स्थापित की गई है. यहां तक कि जंगल से सटे क्षेत्र में भी औद्योगिक प्रतिष्ठान स्थापित किया गया है, जो नियम के विरूद्ध है. सरकारी बाबूओं के मिलीभगत के बगैर आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. बाबूओं के छत्रछाया में ही कंपनी प्रबंधन सारे नियम कानूनों को ताक पर रखकर कंपनी चला रही हैं. चांडिल के चौका क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों की संख्या अधिक है.
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वनराज स्टील कंपनी से प्रभावित हो रहे हैं दर्जनों गांव
चांडिल के लाखा में स्थित बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड अब बनराज स्टील कंपनी के प्रदूषण से क्षेत्र के दर्जनभर गांव के ग्रामीण प्रभावित होकर त्राहिमाम कर रहे हैं. कंपनी से प्रभावित गांवों में हुमीद, जरियाडीह, भादूडीह, छोटालाखा, कलियाडीह, पाटा, कटिया, मानीकुई, बड़ालाखा, मुदीडीह, हारुडीह, धातकीडीह, चिलगु, करनीडीह आदि गांव शामिल हैं. ग्रामीण बताते हैं कि 80 के दशक से बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड कंपनी चल रही हैं जो बीच में बंद हो गई थी, अभी डेढ़ साल पहले ही फिर से कंपनी चालू हुई हैं. अब कंपनी को आधुनिक कंपनी की इकाई बनराज स्टील द्वारा संचालित किया जा रहा है लेकिन अभी जो प्रदूषण फैल रहा है ऐसा आजतक कभी नहीं देखने को मिला था. ग्रामीणों का मानना है कि यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलाने का सिलसिला चलता रहा तो बहुत जल्द क्षेत्र के लोग पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे. गांवों में अगर लोग रहेंगे तो वे गंभीर बीमारियों के शिकार होंगे.
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विधायक की ओर देखते-देखते पथरा गई लोगों की आंखें
ईचागढ़ की विधायक सविता महतो झारखंड विधानसभा के पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति की सभापति है. पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण पर नियंत्रण का काम उनके जिम्मे है. सभापति बनने के समय से ही स्थानीय लोग उनकी ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं. विधायक तीन सालों से समिति के सभापति के पद पर काबिज हैं. अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं रख पाने से अब लोगों की आंखें पथराने लगी हैं. क्षेत्र में कई प्रतिष्ठान अगैर इएसपी के संचालित हो रहे हैं. प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी गहरी नींद में हैं. उन्हें कंपनी के प्रदूषण के कारण हो रही तबाही की जानकारी नहीं मिल पा रही है. ग्रामीण कह रहे हैं कि विधायक सविता महतो अपने ही विधानसभा क्षेत्र में फैल रही प्रदूषण पर नियंत्रण करने में विफल साबित हो रही हैं.
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3. आम के पत्तों पर जमा काला डस्ट.