- Annapurna प्रेस & प्रोसेस कंपनी के जीएसटी नंबर और ITR डॉक्यूमेंट पर लिया टेंडर.
- लेकिन Anapurna प्रेस & प्रोसेस कंपनी के नाम पर हो रहा बिल का पेमेंट, जीएसटी नंबर भी चेंज.
Ranchi: भ्रष्टाचार का दूसरा नाम यानी झारखंड राज्य खादी बोर्ड. बोर्ड का नया कारनामा देखिये. खादी बोर्ड एग्रीमेंट किसी और कंपनी के साथ कर रहा है और पेमेंट किसी और कंपनी को दे रहा है. एक वेंडर ने अपनी कंपनी के नाम का एक शब्द चेंज कर खादी बोर्ड को धोखे में रखकर टेंडर हासिल किया है. यह कंपनी है मेसर्स अन्नपूर्णा प्रेस एंड प्रोसेस. कंपनी के मालिक और पार्टनर हैं गोपाल मोदी और उषा मोदी. 2020 में खादी बोर्ड ने कैलेंडर, डायरी और अन्य कई तरह की छपाई के कार्यों के लिए टेंडर जारी किया था. तब गोपाल मोदी की कंपनी Anapurna प्रेस & प्रोसेस ने यह टेंडर हासिल किया, लेकिन जिस कंपनी के जीएसटी नंबर, इनकम टैक्स रिटर्न और अन्य दस्तावेजों के जरिये यह टेंडर हासिल किया गया वह कंपनी Annapurna प्रेस & प्रोसेस है. दिलचस्प बात ये है कि खादी बोर्ड ने एकरारनामे के पेपर्स में Annapurna प्रेस & प्रोसेस नाम दर्ज है. यानी खादी बोर्ड का एग्रीमेंट Annapurna के साथ हुआ है, न कि Anapurna के साथ.
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Annapurna प्रेस एंड प्रोसेस कंपनी 2017 में रजिस्टर हुई थी. कंपनी का जीएसटी नंबर 20AACFA7513N1ZP है. इस कंपनी ने खादी बोर्ड से टेंडर भी लिया था. तब इसके पार्टनर संजीव मोदी और गोपाल मोदी थे. इसके बाद संजीव मोदी और गोपाल मोदी किन्हीं वजहों से अलग हो गये. इसी बीच खादी बोर्ड की ओर से 2019 में टेंडर निकाला गया. तब गोपाल मोदी ने 11.07.2019 को अपनी कंपनी Anapurna प्रेस एंड प्रोसेस को रजिस्टर कराया. कंपनी का जीएसटी नंबर 20ABPFA1495H1ZI है, कंपनी तो रजिस्टर हो गई, लेकिन यह कंपनी निविदा की शर्तों पर क्वालिफाई नहीं कर पाती. इसलिए उन्होंने टेंडर पाने के लिए Annapurna प्रेस एंड प्रोसेस कंपनी का जीएसटी नंबर और इनकम टैक्स रिटर्न के डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल किया. बड़ी चालाकी से आवेदन Anapurna कंपनी से नाम से की गई और पेपर्स Annapurna के दिये गये. खादी बोर्ड में बैठे पदाधिकारियों ने भी इसपर कोई ध्यान नहीं दिया.
गोपाल मोदी की कंपनी Anapurna को खादी बोर्ड से करीब 25 लाख तक का काम मिला है. कई किश्तों में राशि पेमेंट की गई है. सवाल ये उठता है कि क्या खादी बोर्ड इस गड़बड़ी में शामिल है या इस धोखाधड़ी से बोर्ड के अधिकारी अबतक अनजान है. अगर खादी बोर्ड के अधिकारी भी इसमें शामिल हैं तो जांच के बाद उनपर भी कार्रवाई हो सकती है.
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