जलाया दिया, बच्चों व महिलाओं की सुरक्षा व बाल विवाह से आज़ादी के नाम
Tisri (Giridih) : कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन द्वारा संचालित बाल मित्र ग्रामों में बाल पंचायत के बच्चों ने इस बार अनोखे तरीके से दिवाली मनाई. बच्चों ने बाल विवाह से आज़ादी और महिलाओं, बच्चों की सुरक्षा व सुरक्षित पर्यावरण के का संदेश दिया.
“आओ एक दिया जलाएं, बाल विवाह से आज़ादी एवं बच्चों – महिलाओं की सुरक्षा के नाम “, “सुरक्षित बचपन सुरक्षित पर्यावरण “, ” दीप जलाकर दिवाली मनाएं, पटाखे जला कर नहीं” आदि स्लोगन्स बैनर्स और चार्ट पेपर पर लिखकर बच्चों ने ग्रामीणों को जागरूक किया.
इस दौरान बाल मित्र ग्राम सिमराढाब के बाल पंचायत के सचिव जानकी कुमारी ने अपील करते हुए कहा कि “हम सभी को पटाखों का बहिष्कार करना चाहिए, क्यों कि पटाखे बनाने में अवैध रूप से बच्चों से बाल श्रम कराया जाता है. जिससे उनके स्वास्थ्य एवं जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है. पटाखों के जलने से वातावरण भी प्रदूषित होता है और लोग बीमार पड़ते हैं. इसलिए हम सभी को दीप जलाकर दीवाली मनानी चाहिए, जिससे कि बचपन के साथ-साथ पर्यावरण भी सुरक्षित होगा.
बाल मित्र ग्राम बालोसार के युवा मंडल के सदस्य दिलीप मरांडी ने कहा कि “इस अवसर पर हम सभी को मिलकर बच्चों के जीवन को अंधकारमय करने वाले बाल विवाह, बाल मजदूरी एवं बाल व्यापार जैसे अपराधों को समाप्त करने का संकल्प लेना होगा, ताकि सभी बच्चों का जीवन दीवाली के दिये कि तरह जगमगाता एवं चमकता रहे एवं उनकी हर दीवाली खुशियों वाली हो.”
बाल मित्र ग्राम मधुपुर की महिला मंडल की संगीता देवी ने कहा कि हमारे देश में नारी को अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है. दीपावली के दिन भी लक्ष्मी जी की हर घर में पूजा होती है. लेकिन आश्चर्य की बात है कि घर कि लक्ष्मी लड़कियों और महिलाओं के साथ बाल विवाह एवं महिला हिंसा जैसी घटनाएं समाज में बढ़ रही है. यदि हम सच में देवियों के प्रति श्रद्धा रखते हैं और उनकी उपासना करते हैं तो बच्चियों और महिलाओं के प्रति होने हिंसा व बाल विवाह को हर हाल रोकना हम सबकी सामूहिक जिम्मेवारी है. इसलिए आईये एक दीया महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा के नाम भी जलाएं. ” आयोजित कार्यक्रमों में बच्चों ने दिवाली के अवसर रंगोली बना कर एवं एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर दीवाली की शुभकामनाएं दी.
सत्यार्थी फॉउंडेशन के जिला संयोजक सुरेंद्र पंडित ने बाल पंचायत के बच्चों की इस रचनात्मक सोच की प्रशंसा की और बताया कि इस तरह के कार्यक्रम जिले के सौ से अधिक गांवों में बच्चों ने किया, जिसमें ग्रामीण भी बढ़चढ़ कर शामिल हुए”
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