Godda : मुख्यमंत्री से मिले निर्देश के बाद सुंदरपहाड़ी प्रखंड के पीवीटीजी राशन कार्डधारियों के बीच पीडीएस के माध्यम से बकाया महीने के खाद्यान्न का वितरण किया गया. जुलाई, अगस्त एवं अक्टूबर महीने का अनाज सभी कार्डधारियों को दिया गया. जबकि सितंबर माह का अनाज कुछ लाभुकों को नहीं दिया गया था. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सोमवार को सुंदरपहाड़ी प्रखंड के पीवीटीजी बहुल पंचायतों के सभी ग्रामों में विशेष कैंप लगाकर जिले के डीसी सहित अन्य पदाधिकारियों की उपस्थिति में पीवीटीजी डाकिया योजना के तहत शेष कार्डधारियों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया गया. इसके लिए प्रति कार्डधारियों को मिलने वाले पैंतीस किलो खाद्यान्न के निर्धारित वजन का सीलबंद पैकेट विशेष कैंपों में उपलब्ध करा दिया गया.
गोड्डा जिला का सुंदरपहाडी प्रखंड पाकुड़ जिला के बरहेट विधानसभा में पड़ता है. मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र होने के कारण प्रशासन भी इस क्षेत्र के लिए चौकस रहते हैं तथा प्रयास होता है कि विकास की योजनाओं का समुचित लाभ इस क्षेत्र के लोगों को मिल सके. वैसे यह क्षेत्र अति पिछड़ा दुर्गम इलाका होने की वजह से विकास से अभी भी कोसों दूर है. सरकार की योजना का लाभ पूरी तरह से लाभुकों तक नहीं पहुंच पाता है. पहाड़िया आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में लोगों को बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं हो पाती है. सरकारी योजना का लाभ लाभुकों तक कम बिचौलिया के पास ज्यादा पहुंचता है. इस अवसर पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं पंचायती राज के जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे.
गोड्डा : शहर के मुख्य काली मंदिर में अंग्रेजकाल से हो रही है पूजा
गोड्डा : शहर के मुख्य बाजार के बीचोबीच अवस्थित बड़ी काली मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है. सही तिथि तो किसी को नहीं मालूम, मगर बंगाल विभाजन से पूर्व के दस्तावेज में काली मंदिर का जिक्र आया है. इसका मतलब डेढ़ सौ साल से अधिक समय से माता की पूजा-अर्चना निर्वाध रूप से होती आ रही है. इस वर्ष भी मां काली की पूजा-अर्चना धूमधाम से की गई. पुराने लोग बताते हैं कि पहले अगल-बगल इलाके का एकमात्र मंदिर गोड्डा बाजार का ही मंदिर था. इसमें सारे लोग जमा होते थे. उस वक्त भव्य मेला का आयोजन होता था. स्थानीय कलाकारों द्वारा नाटक के अलावा गाना बजाना का आयोजन किया जाता था. एक सप्ताह तक कार्यक्रम चलता था. धीरे-धीरे अलग-अलग जगहों पर पूजा होनी शुरू हुई. आज के समय में गोड्डा बाजार की काली मंदिर के अलावा शहर में आधे दर्जन से अधिक जगहों पर मां काली की मूर्ति अधिस्थापित कर पूजा धूमधाम से की जाती है. मगर इस पुरानी मंदिर की बात ही कुछ अलग है. कहते हैं कि सच्चे मन से माता के दरबार पहुंचने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. बंगला पद्धति से पूजा-अर्चना होने की परंपरा का पालन किया जाता है. प्राचीन काल के बने छोटे और कच्चे मंदिर को तोड़कर दस वर्ष पूर्व मंदिर को भव्य स्वरूप दिया गया है.
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