taiwan : चीन की दादागिरी अब अमेरिका को बर्दाश्त नहीं हो रही है. खबर है कि ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में चार दिन के अंदर 149 लड़ाकू विमान भेजकर दहशत फैलानेवाली चीनी सेना को जवाब देने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन ने साउथ चाइना सी में फिलीपीन्स के पास अपने तीन एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात किये हैं. बता दें कि महाविनाशक क्षमता से लैस ये एयरक्राफ्ट कैरियर दुनियाभर में अमेरिकी ताकत का प्रतीक माने जाते हैं.
ताइवान को लेकर चीन चाल चल रहा है
जानकाकी के अनुसार चीन को सबक सिखाने अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट और ब्रिटेन का मिसाइलों से लैस डेस्ट्रायर फिलीपीन्स सागर के पास अभ्यास कर रहे हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि चीन भले ही डराने के लिए फाइटर जेट ताइवान के पास भेज रहा है, लेकिन अभी ड्रैगन के हमले का खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि ताइवान को लेकर चीन चाल चल रहा है और आगे भी वह इस स्वशासित द्वीप पर दबाव बनाता रहेगा, विशेषज्ञों ने कहा कि चीन अपने इच्छा के अनुसार ताइवान के खिलाफ अपना दबाव बढ़ा और घटा सकता है लेकिन वह अपने एकीकरण के लक्ष्य को पूरा होने तक इसे जारी रखेगा.
सूत्रों के अनुसार चीन की इस दादागिरी को जवाब देने के लिए वर्तमान में बाइडन प्रशासन द्विपक्षीय रिश्तों में टकराव वाला रवैया बनाये हुए है. इस क्रम में ऑस्ट्रेलिया के साथ ऑकस सैन्य समझौता किया गया है. ऑकस डील के बाद ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका और ब्रिटेन से बेहद घातक परमाणु पनडुब्बी मिल सकेगी.
जापान भी ताइवान के साथ आ जाता है, तो चीन को मुश्किल होगी.
इसके अलावा अमेरिका क्वॉड के देशों भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने रिश्ते मजबूत बनाने में जुट गया है. क्वॉड नेताओं की हालिया बैठक में चीन को स्पष्ट संकेत देते हुए कहा गया कि वे मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समर्थक हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान में करारी हार के बाद अब बाइडन ताइवान को खोने का रिस्क नहीं उठा सकते हैं. इसी वजह से अमेरिकी सेना दक्षिण चीन सागर में सक्रिय है. कहा जा रहा है कि अगर इस जंग में जापान भी ताइवान के साथ आ जाता है, तो चीन को मुश्किल होगी.