NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना (सीजेआई) ने न्यायिक आधारभूत ढांचे को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इस ढांचे में सुधार किया जाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है. कहा कि न्याय तक पहुंच में सुधार के लिए यह बहुत आवश्यक है. सीजेआई ने कहा कि अफसोस की बात है कि देश में इसे लेकर चलता है…वाला रवैया है. चीफ जस्टिस के अनुसार अनियोजित तरीके से इसमें सुधार हो रहा है. यह मानसिकता बन गयी है कि अदालतें जर्जर इमारतों में ही चलती हैं. इससे काम करना कठिन हो जाता है.
सीजेआई शनिवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के उपभवन के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे. इस क्रम में उन्होंने अदालतों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल खड़े किये. कहा कि बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए राष्ट्रीय न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्राधिकरण की स्थापना की जानी चाहिए. बताया कि इसका प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा गया है. कहा कि मैं कानून मंत्री से आग्रह करता हूं कि संसद के आगामी सत्र में इस मुद्दे को उठाकर प्रस्ताव में तेजी लायी जाये. बता दें कि कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू मौजूद थे.
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26फीसदी अदालतों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं
सीजेआई का कहना था कि देश में 26 फीसदी अदालतों में महिलाओं और 16 फीसदी अदालतों में पुरुषों के लिए शौचालय नहीं हैं. देश के 46 फीसदी कोर्ट परिसरों में शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. कहा कि महज 5 प्रतिशत अदालत परिसरों में मेडिकल सुविधा है. लगभग 50 प्रतिशत न्यायालय परिसरों में पुस्तकालय नहीं है.
सीजेआई ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के स्वीकृत पद 24,280 हैं जबकि उनके लिए 20,143 हाल उपलब्ध हैं. सीजेआई ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज के लिए न्यायालयों का होना बहुत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि समाज के लोगों का सबसे ज्यादा भरोसा न्याय व्यवस्था पर ही होता है और एक लोकतंत्र में न्यायालय ही आम आदमी को उसके लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी देता है.
न्यायपालिका को दिया जा रहा पूरा समर्थन : किरण रिजिजू
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने इस अवसर पर कहा कि न्यायपालिका को न केवल पूरा समर्थन दिया जा रहा है बल्कि उसे मजबूत बनाने के लिए हर संभव कार्य किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत न्यायपालिका की अत्यंत आवश्यकता है. कहा कि वह 29 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे, जिससे यह देखा जा सके कि सीमावर्ती इलाकों में कानूनी मदद कैसे हो सकती है.