NewDelhi : चीफ जस्टिस एन वी रमना ने जजों और CM के सम्मेलन में सरकारों के रवैये पर चिंता जताते हुए कहा कि कई बार कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकारें जानबूझकर अमल नहीं करती हैं, यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. कहा कि संविधान देश के तीनों अंगों के बीच शक्तियों के विभाजन का प्रावधान करता है और अपने कर्तव्य का पालन करते समय लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखा जाना चाहिए. चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अपने विचार रखे.
We must be mindful of ‘Laxman Rekha’, judiciary will never come in way of governance if it’s as per law. If municipalities, gram panchayats perform duties, if police investigate properly &illegal custodial torture comes to end, people need not have to look to courts:CJI NV Ramana pic.twitter.com/amgosbcX5i
— ANI (@ANI) April 30, 2022
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देशभर में चार करोड़ 11 लाख केस पेंडिंग हैं
CJI ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहा कि न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया. चीफ जस्टिस ने कहा देशभर में चार करोड़ 11 लाख केस पेंडिंग है 50 फीसदी पेंडिंग केसों में सरकार ही पक्षकार है. CJI ने कहा कि अदालत के फैसले पर अमल नहीं हो पा रहा है जो चिंताजनक है. उन्होंने साफ कहा कि सरकार के रवैये के कारण कई बार फैसले पर अमल नहीं होता है. यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. चिंता जताई कि भारत में 10 लाख लोगों पर सिर्फ 20 जज हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि वैकेंसी और पेंडेंसी कम करने के लिए सरकार को जजों की नियुक्ति करने की जरूरत है.
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PIL को निजी हित याचिका करार दिया
अपने संबोधन के क्रम में CJI ने जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि अब यह निजी हित याचिका बन गयी है. कहा कि निजी मामलों को निपटाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा कि जनहित याचिका की अवधारणा अब निजी हित याचिका में बदल गयी है और कभी-कभी परियोजनाओं को रोकने या सार्वजनिक प्राधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा रहा है. CJI ने कहा कि कानून और संविधान का पालन करना सुशासन की कुंजी है.