New Delhi : कृषि कानून को लेकर जिस तरह से किसान कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. उस पर सख्त होते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगायी है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या वो कानून को स्थगित करती है, या फिर वह इसपर रोक लगा दें. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि किसानों की जो भी चिंता है, उसे कमिटी के सामने रखने की जरूरत है. कोर्ट ने केंद्र सरकार की आंदोलन निपटाने के तरीके पर भी नाराजगी जतायी है.
किसान आंदोलन पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार की ऐसी दलील यहां नहीं चलेगी कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था. कोर्ट ने पूछा कि आप इसका क्या हल निकाल रहे हैं? सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को दलील दी गयी कि 41 किसान संगठन कानून वापसी की मांग कर रहे हैं. और उनका कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होते हैं आंदोलन जारी रखेंगे.
किसी की ओर से कानून की तारीफ नहीं आयी है – कोर्ट
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने ये भी स्पष्ट कहा कि उनके पास कृषि कानून को लेकर ऐसी एक भी दलील नहीं आयी है, जिसमें उसकी तारीफ की गयी हो. साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम किसानों के मामले में एक्सपर्ट नहीं हैं. और क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कोई कदम उठायें.
कोर्ट ने कहा कि हालात बदतर होते जा रहे हैं. लोग ठंड में बैठे हैं और मर रहे हैं. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि वहां बुजुर्गों और महिलाओं को क्यों रोका जा रहा है. इनकी ठंड में आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. वहां खाने और अन्य चीजों का ख्याल आखिर कौन रख रहा है. कोर्ट ने कहा कि हम एक्सपर्ट कमेटी बनाना चाहते हैं. तब सरकार अपनी ओर से इन कानूनों को रोके वरना हम एक्शन लेंगे.
कोर्ट हमारे हाथ बांध रही है – सरकार
वहीं सरकार की ओर से कोर्ट में दलील दी कि अदालत सरकार के हाथ बांध रही है. साथ ही कहा कि हमें इस बात का भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत के लिए आयेंगे. वहीं किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं. और ऐसे में कमेटी के सामने जाना भी है या नहीं इसका फैसला हमें करना होगा.
इसपर कोर्ट ने कहा कि इस तरह का माहौल नहीं बनायें कि आप सरकार के पास तो जायेंगे.
लेकिन कमेटी के पास नहीं जायेंगे. वहीं सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि किसानों को अपनी ओर से कमेटी में बातचीत के लिए आने का भरोसा देना चाहिए. हालांकि इसके बारे में किसान महापंचायत ने कहा कि उन्हें दिल्ली आने नहीं दिया जा रहा है. साथ ही कहा गया कि वे कमेटी के सुझाव का स्वागत करते हैं. इसके अलावा शांतिपूर्ण ढंग से इस प्रदर्शन को जारी रखेंगे.
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क्या आप इसे बातचीत के जरिये सुलझा सकते हैं – कोर्ट
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने सरकार से कहा कि कहा कि हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं. हम ये पूछ रहे हैं कि आप इस कैसे संभल रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हम ये सुनना नहीं चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में हल हो या नहीं. बस इतना चाहते हैं कि आप इस मामले को बातचीत के जरिये सुलझा सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि, आप चाहते तो ये कह सकते थे कि जब तक ये मुद्दा सुलझता नहीं, इसे लागू नहीं करेंगे. कोर्ट ने कहा कि ये हमें नहीं पता कि आप समस्या का या समाधान का हिस्सा हैं.
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